Udaipur Murder Case: उदयपुर में सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा के समर्थन के बाद कन्हैयाल की हत्या के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ होने को लेकर कई एंगल से जांच चल रही है। पीएफआई कई मंचों पर काम कर रहा है। न्यूज-18 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सालों के दौरान पीएफआई की बाहरी और आंतरिक संगठनों के साथ उनका समन्वय बढ़ा है। हाल में ही एक विशेष जांच दल (SIT) ने बिहार और उत्तर प्रदेश में PFI के सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की।
एसआईटी की अलग-अलग जगहों पर छापेमारी के बाद कई संदिग्ध मुस्लिम युवाओं को गिरफ्तार किया है जिनके पास से पीएफआई से संबंधित दस्तावेज और गिरफ्तार किए गए युवकों का पीएफआई के साथ संबंध होने का दावा करता है। पीएफआई कैडर जो मुख्य रूप से इन-हाउस काम करता है। भारत में अपने कार्यों को लागू करने के लिए रोडमैप तैयार कर रहा है। जबकि इसके आउटसोर्स देश भर के अन्य संगठनों के साथ काम करते हैं। न्यूज-18 के मुताबिक पीएफआई के सदस्यों के पास दोहा, बहरीन, दुबई, मालदीव और कई अन्य देशों से फंडिंग है। उनका पैसा परिवार के रखरखाव या वेस्टर्न यूनियन के नाम पर बैंक हस्तांतरण के माध्यम से भेजा गया है।
अलग-अलग लोगों के माध्यम से भेजा गया पैसा
खुफिया जानकारी के मुताबिक, पैसों के इन ट्रांसफर का विश्लेषण करने पर इस बात का पता चला है कि हर महीने अलग-अलग लोगों के माध्यम से एक उद्देश्य के लिए धन भेजा जा रहा है। शीर्ष खुफिया सूत्रों का कहना है कि पीएफआई भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संगठनों को उकसा रहा है और सरकार की नीतियों को “अल्पसंख्यकों और मुसलमानों के विरोधी” के रूप में दर्शा रहा है। इसके अलावा पीएफआई देश की सरकार और एजेंसियों के खिलाफ यूपी, केरल और अन्य जगहों पर मुसलमानों को प्रोत्साहित कर रहा है।
PFI के तार कहीं ISI से तो नहीं जुड़े?
नूपुर शर्मा के समर्थन का प्रचार करने के लिए उदयपुर में एक दर्जी का सिर काटने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किए जाने के बाद खुफिया विभाग के विश्लेषण से पता चलता है कि आरोपी पीएफआई समूहों के ही सदस्य हैं जो कट्टरपंथ फैलाने वाले अन्य संगठनों से जुड़े हैं। न्यूज-18 की रिपोर्ट के मुताबिक खुफिया विभाग ने बताया, “हम इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि पीएफआई के तार आतंकी संगठन आईएसआईएस के साथ भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तो नहीं जुड़े हैं।”
PFI ने मुसलमानों को हिंसक होने के लिए उकसाया
सूत्रों ने कहा कि अक्टूबर-नवंबर 2021 में त्रिपुरा के दंगों के दौरान पीएफआई ने मुसलमानों का ध्रुवीकरण किया उन्हें हिंसक तरीके अपनाने के लिए उकसाया। पीएफआई कैडर की हालिया गिरफ्तारी और अंसार अल इस्लाम (एएआई) के साथ लिंक को इसी रणनीति की निरंतरता के रूप में देखा जा सकता है।
पीएफआई के अधिकांश पदाधिकारी सिमी से जुड़े हुए
पीएफआई कैडर को मुस्लिम विरोधी संगठनों और व्यक्तियों को हिंसक प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित करता है। यह एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है जिसकी स्थापना 2006 में कुछ क्षेत्रीय इस्लामवादी समूहों जैसे कि नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF), मनीथा नीथी पासराय और कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी (KFD) के विलय के साथ हुई थी। पीएफआई के अधिकांश प्रमुख पदाधिकारी पहले प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े रहे हैं।