उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है। इसमें सबसे अधिक चर्चा लिवइन को नियमों को लेकर हो रही है। धामी सरकार ने यूसीसी को लेकर जो नियम बनाए हैं उनमें लिवइन के रजिस्ट्रेशन के लिए कपल्स को 16 पेज का फॉर्म भरना होगा। इसके अलावा किसी पुजारी से एक प्रमाण पत्र भी लेना होगा जिसमें लिखा होगा कि प्रेमी जोड़ा यदि चाहे तो विवाह करने के योग्य है। अगर कोई कपल लिवइन का रजिस्ट्रेशन नहीं कराता है तो उसे 6 महीने की जेल भी हो सकती है। उत्तराखंड में यूसीसी के नियम वहां से मूल निवासियों के अलावा वहां किसी अन्य राज्य के रहने वाले लोगों पर भी लागू होंगे।

लिवइन को लेकर यूसीसी के क्या हैं नियम

लिवइन के लिए रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से किया जा सकता है। इसमें आपको यह भी बताना होगा कि आप पहले से ही लिव-इन रिलेशनशिप में हैं या लिव-इन रिलेशनशिप में जाने का इरादा रखते हैं। अगर कोई लिवइन में रहना चाहता है तो उसे ‘विवाह की अनुमति का प्रमाण’ की आवश्यकता होगी। किसी समुदाय के रिलेशन में उस समुदाय के पुजारी या उस समुदाय से संबंधित धार्मिक नेता की जरूरत होगी तो कानून के जानकरों को डर है कि यह अंतरजातीय और अंतरधार्मिक संबंधों को लगभग असंभव बना सकती है। बेंगलुरु की वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी ने कहा कि सरल शब्दों में कहें तो यह एक धर्मनिरपेक्ष कानून है, जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करने के लिए भी विवाह की पात्रता के लिए पूर्व धार्मिक स्वीकृति की आवश्यकता होती है।

पुराने रिलेशन की भी देनी होगी जानकारी

लिव-इन में रहने वाले कपल को अपने पिछले रिलेशन की जानकारी भी देनी होगी। इसमें वर्तमान लिव-इन रिलेशनशिप की शुरुआत से पहले वैवाहिक या लिव-इन रिलेशनशिप की जानकारी अनिवार्य है। इन दस्तावेजों में तलाक का अंतिम आदेश, विवाह को रद्द करने का अंतिम आदेश, पति या पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र, समाप्त लिव-इन रिलेशनशिप का प्रमाण पत्र शामिल हो सकते हैं।

यूसीसी के तहत रजिस्ट्रार के पास खुद से या किसी व्यक्ति को शिकायत के आधार पर उनके लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत करने के लिए नोटिस जारी करने का अधिकार है। इसके अलावा अगर लिव-इन में रहने वाले कपल 21 साल के कम उम्र के हैं तो रजिस्ट्रार को लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत करने वाले पक्षों के माता-पिता को सूचित करना होगा।