उन्नाव बलात्कार मामले में बीजेपी से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर की जेल की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। एडवोकेट अंजलि पटेल और पूजा शिल्पकार द्वारा दायर याचिका में हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने इस बात पर विचार किए बिना आदेश पारित किया कि निचली अदालत ने यह टिप्पणी की थी कि सेंगर को जीवन भर जेल में रहना होगा।

एडवोकेट्स ने याचिका में कहा है कि सेंगर के गंभीर आपराधिक इतिहास और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में संलिप्तता साबित होने के बावजूद, हाई कोर्ट ने उसकी जमानत/सजा निलंबित करके कानून और तथ्यों दोनों में गंभीर गलती की है।

‘जज साहब ने समय ही नहीं दिया’

याचिका में कहा गया है, ‘हाई कोर्ट अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत ठोस साक्ष्यों को समझने में विफल रहा, जो स्पष्ट रूप से आरोपी की बर्बरता और क्रूरता को दिखाते हैं।’

क्या कहा दिल्ली हाई कोर्ट ने?

दिल्ली हाई कोर्ट ने बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सेंगर की सजा 23 दिसंबर को निलंबित कर दी थी। अदालत ने कहा कि वह पहले ही सात साल, पांच महीने जेल में बिता चुका है। हाई कोर्ट ने बलात्कार मामले में दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपील लंबित रहने तक सेंगर की सजा पर रोक लगाई है।

सेंगर ने दिसंबर 2019 के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। हालांकि, वह जेल में ही रहेगा क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में 10 साल की सजा भी काट रहा है और उस मामले में उसे जमानत नहीं मिली है।

हाई कोर्ट ने 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतने की ही तीन जमानत राशियां जमा करने का निर्देश देकर सेंगर को जमानत दे दी। हाई कोर्ट ने सेंगर को निर्देश दिया कि वह न तो पीड़िता के घर के पांच किलोमीटर के दायरे में जाए और न ही पीड़िता या उसकी मां को कोई धमकी दे।

पीड़िता की जान को खतरे से संबंधित चिंता के बारे में अदालत ने कहा कि उसे उम्मीद है कि पीड़िता को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सुरक्षा मिलती रहेगी।

‘उन्नाव रेप पीड़िता की मां को सड़क पर पटक दिया… क्या ये न्याय है?