मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए दो और चीतों को छोड़ा गया है, जिससे वहां इन जीवों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

भारत में अंतिम चीते की मृत्यु 1947 में वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में हुई थी, और इस प्रजाति को 1952 में देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। भारत में चीतों की संख्या को फिर से बसाने के एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत आठ चीतों को नामीबिया से कुनो राष्ट्रीय उद्यान लाया गया और प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को इन्हें विशेष बाड़ों में छोड़ा। इनमें पांच मादा और तीन नर चीते शामिल थे। इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते (सात नर और पांच मादा) कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए।

श्योपुर संभागीय वन अधिकारी पीके वर्मा ने बताया कि सोमवार को दो नर चीतों-प्रभास और पावक को कुनो राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में छोड़ दिया गया। इन दोनों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था। उन्होंने बताया कि अब जंगल में चीतों की कुल संख्या 12 हो गई है, जबकि बाड़ों में पांच चीते और एक शावक हैं।

भारतीय वन्यजीव कानूनों के अनुसार, जानवरों को आयात करने से पहले एक महीने का संगरोध अनिवार्य है और देश में आगमन के बाद उन्हें 30 दिनों तक अलग-थलग रखा जाना आवश्यक है। मार्च से अब तक कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता ज्वाला के तीन शावकों सहित छह चीतों की मौत हो चुकी है। चीता ज्वाला ने इस साल मार्च में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चार शावकों को जन्म दिया था।

चीते को 1952 में देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। कूनो उद्यान में 12 चीते खुले जंगल में हो गए हैं, जबकि 5 चीते अभी बड़े बाड़ों में हैं। इनके अलावा एक मादा शावक अलग है। प्रभाष व पावक के से पहले 12 चीते खुले जंगल में छोड़े गए थे, लेकिन आपसी संघर्ष के बाद वायु और अग्नि को वापस बड़े बाड़े में भेज दिया है। ऐसे में अभी खुले जंगल में 10 चीते थे। आज दो चीतों को छोड़ने के बाद वापस 12 हो गए हैं।