आपने कभी ऐसा सुना है कि सुप्रीम कोर्ट की एक ही बेंच दो मामलों की सुनवाई कर रही है? ऐसा सुप्रीम कोर्ट में हुआ है। जहां दिल्ली रिज वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई मामले पर दो बेंच एक साथ सुनवाई कर रही थीं। इसके बाद जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने नाराजगी जताई और स्पष्टीकरण के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया और यह जानना चाहा कि आखिर किसे इस मामले पर सुनवाई करनी है? बेंच ने कहा कि हम न्यायिक औचित्य में विश्वास करते हैं हालांकि दूसरी बेंच ने ऐसा नहीं किया।
पूरा मामला क्या है?
जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि विरोधाभासी आदेशों से बचने के लिए यह उचित होगा कि रिज से संबंधित मामलों की सुनवाई एक ही बेंच द्वारा की जाए। न्यायालय ने हैरानी जताते हुए कहा कि जब एक बेंच पहले से ही मामले पर विचार कर रही है तो क्या किसी दूसरी बेंच को इस पर विचार करना चाहिए था।
दरअसल जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस पी.के. मिश्रा और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने इस पर गौर किया कि पेड़ों की कटाई के संबंध में अवमानना की कार्यवाही इस साल 24 अप्रैल को उनकी अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा शुरू की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने भी मई में इस मुद्दे पर अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी।
जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा, ‘‘अन्य पीठ के लिए यह अधिक उपयुक्त होता कि वह उसी कारण से अवमानना की कार्यवाही शुरू करने से पहले CJI से स्पष्टीकरण मांग लेती कि किस पीठ को उक्त कार्यवाही जारी रखनी चाहिए।
बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह मामले को उचित आदेश के लिए CJI के समक्ष रखें। बेंच ने कहा कि वह अपने द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं रखती है, क्योंकि दूसरी बेंच के समक्ष पहले से ही सुनवाई आगे बढ़ चुकी है।