सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने एक इंटरव्यू में भारत सरकार पर कई गंभीर आरोप लगा दिए हैं। उन्होंने दावा कर दिया है कि किसान आंदोलन के दौरान उन पर दबाव बनाया गया था कि उन अकाउंट्स को बंद कर दिया जाए जो या ता किसान आंदोलन को सपोर्ट कर रहे थे, या फिर सरकार के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे थे।
दो साल पहले शुरू हुआ सारा विवाद
इस एक बयान के बाद से कांग्रेस तो मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है, इसे फ्रीडम की हत्या तक बता रही है। लेकिन केंद्र सरकार का इस पर रुख एकदम अलग है। उनका साफ कहना है कि जैक डोर्सी के समय में ट्विटर कई नियमों को मान ही नहीं रहा था, ऐसे में उसके साथ तनातनी चल रही थी। अब इस पूरे विवाद की एक नहीं कई परते हैं जिसकी शुरुआत साल 2021 में उस समय हो गई थी जब देश में तीन कृषि कानून लाने की बात हुई थी और उस वजह से एक आंदोलन सड़कों पर शुरू हो गया था।
केंद्र का कानून, ट्विटर का मानने से इनकार, बवाल का आगाज
अब हुआ ये था कि जिस समय देश में कृषि कानून लाए गए थे, उस दौरान फरवरी में मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एक नई गाइलाइन इशू की थी। उस गाइडलाइन में कहा गया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जो भी कुछ पब्लिश किया जाएगा, उसकी सीधी जिम्मेदारी उस कंपनी को ही लेनी पड़गी जहां से उस कंटेंट को शेयर किया गया। ये भी कहा गया था कि तीन महीने के अंदर सभी कंपनियों को इन गाइडलाइन को मानना पड़ेगा।
अब सभी कंपनियां इसके लिए राजी हो गईं, लेकिन ट्विटर तैयार नहीं था। उसका साफ कहना था कि इस प्रकार के नियमों से अभिव्यक्ति की आजादी पर असर पड़ता है। इसके ऊपर उस समय बीजेपी नेता संबित पात्रा के एक ट्वीट को ट्विटर ने Manipulated Media वाली कैटेगरी में डाल दिया था। पात्रा का ट्वीट किसी कथित टूलकिट को लेकर था, लेकिन ट्विटर को उससे आपत्ति हो गई। विवाद आईटी नियमों को लेकर चल रहा था, लेकिन इस नए विवाद केस को दूसरी दिशा में मोड़ दिया। दिल्ली पुलिस 24 मई को सीधे भारत के ट्विटर हेडक्वार्टर पहुंच गई और उससे पूछा गया कि ट्वीट को उस कैटेगरी में क्यों डाला गया। कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला और ट्विटर ने उस ट्विट से वो वाला लेबल हटाने से भी मना कर दिया।
कोर्ट पहुंचा केस, ट्विटर की नीयत पर शक और एक्शन की धमकी
इसके बाद ट्विटर विवाद नया मोड़ 26 मई को आया जब केंद्र सरकार ने नए आईटी नियमों का ऐलान कर दिया। ट्विटर ने क्योंकि इन्हें मानने से ही मना कर दिया, ऐसे में मामला दिल्ली हाई कोर्ट तक कहा जिसने दो टूक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नियम मानने की बात कह दी। अब तब तो ट्विटर ने ये कहकर विवाद ठंडा कर दिया कि नियमों के हिसाब से ही प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। लेकिन सरकार को नीयत पर शक रहा और बाद में आरोप भी लगा कि ट्विटर ने किसी भी नियम को नहीं माना। तब सरकार ने कंपनी के खिलाफ एक्शन लेने की बात भी कर दी थी।
ब्लू टिक हटने वाला विवाद, फिर बढ़ी तकरार
अब इस विवाद के साथ ब्लू टिक वाला विवाद भी जुड़ गया था। असल में पिछले साल कुछ समय के लिए ही सही तब के तत्कालीन उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू का ट्विटर से ब्लू टिक हटा दिया गया था। इसके बाद संंघ प्रमोख मोहन भागवत के साथ भी ऐसा ही हुआ। एक समय तब के आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद के ट्विटर अकाउंट से भी ब्लू टिक हट गया था। कहा गया कि कॉपीराइट का कोई मामला सामने आया जिस वजह से ये एक्शन हुआ।
अब इन विवादों के बीच ट्विटर के पूर्व सीईओ ने जो दावे कर दिए हैं, उस वजह नया बवाल खड़ा हो गया है। कांग्रेस को इसमें अवसर दिख रहा है, बीजेपी को साजिश और सरकार मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रही है।