भारत में तुलसी का पौधा धार्मिक और औषधीय महत्त्व रखती है। इसे हिंदी में तुलसी, संस्कृत में बहूभंजरी और अंग्रेजी में होली बेसिल के नाम से जाना जाता है। कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी का पौधा लगभग सभी घरों में होता है। हिंदू धर्म को मानने वाले इसकी पूजा भी करते हैं लेकिन अगर आप चाहें तो इसकी खेती करके अच्छा खासा मुनाफा भी कमा सकते हैं। वर्तमान में इससे कई दवाएं, साबुन, शैंपू आदि बनाए जाते हैं। इससे तुलसी के उत्पाद की मांग काफी बढ़ गई है।
तुलसी की खेती कम उपजाऊ जमीन जिसमें पानी की निकासी का उचित प्रबंध हो, अच्छी होती है। बलूई दोमट जमीन इसके लिए बहुत उपयुक्त होती हैं। इसके लिए उष्ण कटिबंध एवं कटिबंधीय दोनों तरह जलवायु होती है। तुलसी की खेती बीज द्वारा होती है लेकिन खेती में बीज की बुवाई सीधे नहीं करनी चाहिए। पहले इसकी नर्सरी तैयार करनी चाहिए। बाद में उसकी रोपाई करनी चाहिए। तुलसी के पौधे को खेत में लगाने का सबसे सही समय जुलाई में होता है। पौधे 45 गुना 45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाने चाहिए। पौधों को लगाने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना जरूरी है।
हफ्ते में कम से कम एक बार या आवश्यकता के अनुसार पानी देना होता है। इसकी पहली निराई गुड़ाई रोपाई के एक महीने बाद करनी चाहिए। दूसरी निराई पहली निराई के तीन-चार सप्ताह बाद करनी चाहिए। जब पौधों की पत्तियां बड़ी हो जाती हैं तभी इनकी कटाई शुरू हो जाती है। सही समय पर कटाई करना जरूरी है। ऐसा न करने पर तेल की मात्रा पर इसका असर होता है। पौधे पर फूल आने की वजह से भी तेल की मात्रा कम हो जाती है, इसलिए जब पौधे पर फूल आना शुरू हो जाएं उसी दौरान इनकी कटाई शुरू कर देनी चाहिए। आप मंडी एजंट के जरिए अपना माल बेच सकते हैं। सीधे मंडी में जाकर भी खरीदारों से संपर्क कर सकते हैं। इस तरह से एक बीघा में 25 से 30 हजार रुपए की कमाई कर सकते हैं।
प्रस्तुति : सुशील राघव