लंबी दूरी की सवारी रेलगाड़ियों में लूटपाट और जेबतराशी करने वाले गिरोह ने गुरुवार की रात देहरादून बांद्रा एक्सप्रेस ट्रेन से टिकट निरीक्षक प्रेम सिंह मीणा को चलती गाड़ी से बाहर फेंक दिया। गिरोह ने इस वारदात को ओल्ड फरीदाबाद स्टेशन से पहले अंजाम दिया। गंभीर हालत में घायल टीटी. को पहले सरकारी बादशाह खान अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी गंभीर हालत को देखते हुए निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों के मुताबिक मीणा की हालत स्थिर है। रेलवे पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। मीणा ने रेलो में सामान चोरी और जेबतराशी करने वाले एक गिरोह को हाल ही में मथुरा रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार करवाया था।

टीटी. प्रेम सिंह मीणा देहरादून बांद्रा एक्सप्रेस गाड़ी में निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से ड्यूटी पर था। उसे तुगलकाबाद रेलवे स्टेशन निकलने के बाद ओल्ड फरीदाबाद स्टेशन से पहले चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। फोर्टिज अस्पताल के राजन नंदा वार्ड में बेड नं. दो पर घायल अवस्था में लेटे मीणा ने कहा कि उसने तुगलकाबाद स्टेशन से निकलते ही टिकटों की जांच का काम शुरू कर दिया। प्रवेश द्वार पर खड़े छह-सात युवकों में से एक ने मीणा को नाम से संबोधित कर टिकट बनाने की गुजारिश की। पच्चीस साल के इस युवक ने मीणा से कहा कि रेल में चढ़ने से पहले वह टिकट नहीं ले पाया लिहाजा उनके टिकट बनाएं। मीणा ने उनके टिकट बनाने शुरू किए और पैसे मांगे तो सभी युवक एक दूसरे को पैसा देने के लिए कहने लगे। मीणा को इन युवकों ने घेर कर दरवाजे के नजदीक कर दिया और अचानक मौका मिलते ही उन्हें जोर से धक्का देकर बाहर फेंक दिया।

मीणा ने बताया कि सभी युवकों की उम्र बीस-बाईस साल के लगभग थी। मीणा ने बताया कि कुछ अरसा पहले उन्होंने सवारी रेलगाड़ियों में समान चुराने वाले और जेबतरशी करने वाले एक गिरोह को मथुरा रेलवे स्टेशन पर मथुरा पुलिस के हवाले किया था। संभव है कि उन पर जानलेवा वारदात करने वाले उसी गिरोह से जुड़े हो। उन्होंने बताया कि अर्द्ध बेहोशी की हालात में भी उन्होंने हिम्मत करके खुद को दूसरी पटरी से गुजर रही माल गाड़ी से बचाया। अंधेरी रात और सुनसान इलाके में मीणा सहायता के लिए चिल्लाते रहे पर जब उन्हें कोई सहायता नहीं मिली तो जैसे तैसे रेंगते हुए आगे बढ़ने लगे। भाग्य से थोड़ी दूर पर ही कुछ युवा अपनी गाड़ियों में रेल पटरियों के पास खड़े थे। मीणा ने चीख-चीख कर इन से सहायता मांगी। युवकों ने इसकी चीख सुनकर मदद की और उन्हें अपनी गाड़ी से बादशाह खान अस्पताल पहुंचाया।

(अनूप चौधरी)