त्रिपुरा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर (वीसी) विजयकुमार लक्ष्मीकांतराव धारूरकर ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी। वीसी ने इस्तीफा देते हुए अपनी जान के खतरे का अंदेशा भी व्यक्त किया है। एक दिन पहले एक स्थानीय टीवी चैनल ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में उन्हें कोलकाता के एक ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए दिखाया था।

संडे एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार सरकार भी धारूकर को उनके पद पर बनाए रखने की इच्छुक नहीं है। सरकार की तरफ से उनके इस्तीफे को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेज दिया गया है। पिछले महीने ही धारूकर कैंपस में एक कार्यक्रम में एबीवीपी का झंडा फहराने को लेकर चर्चा में आए थे। अपने बचाव में उन्होंने एबीवीपी को एक सामाजिक और धार्मिक संगठन बताया था। वीसी का कहना था कि एबीवीपी किसी पार्टी से संबद्ध नहीं है।

समाचार चैनल ‘वनगार्ड’ के प्रबंधन निदेशक और मालिक सेबक भट्टाचार्य ने बताया कि हम साबित कर सकते हैं कि उन्होंने एक प्रिंटिंग फर्म के प्रतिनिधि और ठेकेदार सुरेन्द्र सेथिया से 5,80,000 रुपये लिए। उन्होंने दावा किया कि कुलपति फर्म को दिए गए प्रिंटिंग के काम की कुल कीमत का 10 प्रतिशत रिश्वत के रूप में मांग रहे थे। फुटेज से स्पष्ट है कि वह लगातार 10 प्रतिशत हिस्सा रिश्वत के रूप में ले रहे थे।

यह स्टिंग ऑपरेशन कल प्रसारित हुआ था। भट्टाचार्य का कहना है कि उनके पास और दस्तावेज हैं और वह उन्हें भी प्रसारित करेंगे। हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद इस संबंध में प्रतिक्रिया क लिए कुलपति से संपर्क नहीं हो सका। विश्वविद्यालय सूत्रों ने बताया कि कुलपति ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। धारूकर को जुलाई 2018 में वीसी नियुक्त किया गया था। अभी धारूकर के कार्यकाल में लगभग 4 साल का समय बाकी है। अपने इस्तीफे में धारूकर ने मीडिया के एक धड़े पर हर दिन विश्वविद्यालय की छवि खराब करने का आरोप लगाया है।

स्टिंग वीडियो के पीछे रजिस्ट्रार इंचार्ज का हाथः संडे एक्सप्रेस से बातचीत में धारूकर ने कहा, ‘इस पूरे घटनाक्रम (स्टिंग वीडियो) के पीछे यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार इनचार्ज शानित देबरॉय का हाथ हैं। मैंने उन्हें डिप्टी रजिस्ट्रार के पद से डिमोट कर दिया था। साथ ही मास्टर डिग्री नहीं होने के कारण उन्हें रजिस्ट्रार के पद के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं दी थी। उनके पास पटना से मैनेजमेंट में फर्जी डिप्लोमा है।’ वीसी ने कहा कि इस मामले में वह कोर्ट भी गए थे। हमने त्रिपुरा हाईकोर्ट में यह मुकदमा जीत लिया था।