त्रिपुरा में सीपीएम नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट ने सिमना-टमकरी विधानसभा सीट पर हुआ उपचुनाव 582 मतों के करीबी अंतर से जीत लिया। पिछले साल हुए चुनाव की तुलना में जीत के अंतर में 73 मतों की बढ़ोत्तरी हुई लेकिन बावजूद इसके सत्ताधारी दल में खुशी का माहौल कम होगा। शुक्रवार को जारी हुए नतीजों से साफ हो गया कि राज्य में इन्डिजनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा(आईपीएफटी) का रुतबा बढ़ रहा है। उसने सर्वाधिक लोकप्रिय इन्डिजनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा(आईएनपीटी) की जगह ले ली है। आईपीएफटी के समर्थन में भाजपा भी है और इसके चलते वह आदिवासी इलाकों में लेफ्ट के लिए बड़ी चुनौती बन रही है। रोचक बात यह रही है उपचुनाव में भाजपा ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था लेकिन उन्हें केवल 155 वोट मिले।
लेफ्ट के उम्मीदवार कुमुद देबबर्मा को 9260 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे आईपीएफटी के मंगल देबबर्मा को 8678 वोट मिले। आईएनपीटी के निर्मल देबबर्मा 1066 वोट लेकर तीसरे पायदान पर रहे। बाकी कोई भी उम्मीदवार दो सौ वोट का आंकड़ा भी नहीं छू पाया। भाजपा ने इस चुनाव में किशोर देबबर्मा को उतारा था। हालांकि बाद में अनाधिकारिक रूप से उसने आईपीएफटी को समर्थन दे दिया था। हालांकि समर्थन की घोषणा नाम वापस लेने की तारीख के बाद हुई इसके चलते उसका उम्मीदवार चुनाव से हट नहीं पाया। किशोर देबबर्मा को 155 वोट मिले।
बिजॉय कुमार हरंगख्वाल के नेतृत्व वाली आईएनपीटी पारंपरिक रूप से त्रिपुरा के लिए विस्तृत स्वायत्ता की मांग करती रही है। हरंगख्वाल पहले त्रिपुरा नेशनल वॉलंटियर्स के गुरिल्ला नेता थे। आईएनपीटी को 2008 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही निराशा झेलनी पड़ रही है। इन चुनावों में वह 11 में से केवल एक सीट जीत पाई थी। उसने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। इधर, आईपीएफटी अलग आदिवासी राज्य ‘त्विपरा’ की मांग करती है। आईपीएफटी प्रमुख एनसी देबबर्मन का कहना है कि अभी तक गठबंधन को लेकर भाजपा से कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है।