Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पॉक्सो अधिनियम के तहत एक ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित सजा को पलट दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट लगातार जज के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे हैं। इतना ही नहीं यह भी कहा कि निचली अदालत ने इस मामले में कई अनियमितताएं की हैं। कोर्ट एक ऐसे व्यक्ति की अपील पर सुनवाई कर रहा था जिसे एक स्पेशल जज ने पॉक्सो मामले में 20 साल जेल की सजा सुनाई थी।

जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनींद्र कुमार की बेंच ने कहा कि मध्य प्रदेश स्टेट ज्यूडिशियल अकेडमी में रेगुलर ट्रेनिंग के बाद भी विद्वान ट्रायल कोर्ट के जज के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में लगातार विफल हो रहे हैं। मामले में अपीलकर्ता ने कहा कि उसने कथित पीड़िता के साथ सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे और घटना के समय वह नाबालिग नहीं थी।

व्यक्ति ने रखा था शादी का प्रस्ताव

उसके बयान में यह भी कहा गया था कि घटना से 10 दिन पहले उस व्यक्ति ने उससे शादी का प्रस्ताव रखा था। इसे उसने मान लिया था और फिर वह हैदराबाद गए और एक दुर्गा मंदिर में रस्में निभाईं। अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि महिला वयस्क थी और प्रोसिक्यूशन ने एक्स-रे रिपोर्ट नहीं दिखाई। यह प्रोसिक्यूशन की बेईमानी को दिखाता है।

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कोर्ट ने कहा कि एक्स-रे रिपोर्ट पेश नहीं की गई और कहा कि ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड पर मौजूद ऑसिफिकेशन टेस्ट रिपोर्ट का संज्ञान लेने में विफल रहा और दूसरे, उसने डीएनए टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर आरोपी से सीआरपीसी की धारा 313 के तहत सवाल नहीं पूछे। कोर्ट ने कहा कि घटना के एक महीने के अंदर तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, चूंकि एक या दो साल की गलती हो सकती है और जब उस गलती को ध्यान में रखा जाता है, तो पीड़ित को वयस्क माना जाएगा।”

माता-पिता के डर से अपीलकर्ता का नाम लिया

अदालत ने कहा कि महिला ने अपनी जिरह में कहा था कि वह अपने माता-पिता को बताए बिना उनका घर छोड़कर चली गई थी और बाद में उसने अपने माता-पिता के डर से अपीलकर्ता का नाम ले लिया। अदालत ने कहा कि पीड़िता ने अपनी जिरह में कहा था कि, ” जब पुलिस ने उन्हें हैदराबाद में रोका, तो इस गवाह और उसके दो अन्य साथियों को पकड़ लिया गया था, लेकिन अपीलकर्ता मौजूद नहीं था। पीड़िता ने स्वीकार किया कि वह अपने माता-पिता को बताए बिना ही उनके घर से चली गई थी। इस गवाह ने स्वीकार किया कि अपने माता-पिता के डर से उसने पहली बार अपीलकर्ता का नाम लिया था।”

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