ट्रेन- 18 के ट्रायल में कुछ अज्ञात लोगों ने रास्ते में ट्रेन पर पथराव किया। बता दें कि ट्रेन- 18 दिल्ली के सफदरंज स्टेशन से दोपहर 12.15 बजे रवाना होने के बाद दोपहर 2.18 बजे आगरा कैंट स्टेशन पहुंची। इस ट्रायल के दौरान ट्रेन 18 की रफ्तार 180 किलोमीटर प्रति घंटा रही। ऐसे में फाइनल ट्रायल को सफल बताया जा रहा है। वहीं पथराव की वजह से खिड़कियों के शीशे भी टूटे हैं।

पथराव से चिंतित है रेलवे
फाइनल ट्रायल के दौरान ट्रेन 18 पर हुए पथराव को लेकर रेलवे प्रशासन ने चिंता जताई है। जानकारी के मुताबिक ट्रेन की सर्वाधिक गति 181 किलो मीटर प्रति घंटे की रही। गौरतलब है कि पहले कहा गया था कि ट्रेन 18 अधिकतम 200 किलोमीटर की रफ्तार से चलेगी। गुरुवार दोपहर 12.15 बजे सफदरगंज रेलवे स्टेशन से ट्रेन रवाना हुई। एक बजे पलवल पहुंचे के बाद दोपहर 2.18 बजे आगरा कैंट पहुंची। वापसी में वहीं पहले कहा गया था कि ट्रेन 18 अधिकतम 200 किलोमीटर की रफ्तार से चलेगी। वहीं वापसी में आगरा कैंट से दोपहर 3.10 बजे रवाना होकर शाम 5.05 बजे सफदरगंज रेलवे स्टेशन पहुंची।

हमले में टूटे खिड़कियाों के कांच
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के जीएम ने ट्वीट किया है। जिसमें ट्रेन 18 की खिड़कियों के कांच टूटे दिख रहे हैं।

100 करोड़ से हुआ है निर्माण
बता दें कि ट्रेन 18 का निर्माण आइसीएफ चेन्नई ने 100 करोड़ रुपए की लागत से किया है, जो हाल में भारत की सबसे तेज ट्रेन बन गई। इस ट्रेन में दो विशेष डिब्बे होंगे जिसमें 52-52 सीटें होंगी और बाकी डिब्बों में 78-78 सीटें। ट्रेन 18 में यात्रियों के लिए वाईफाई, जीपीएस आधारित सूचना प्रणाली (इसके माध्यम से यात्री ड्राइवर से बात कर सकेंगे), मॉड्यूलर बायो वॉक्यूम टॉयलेट, एलईडी लाइटिंग, मोबाइल चार्जिग प्वाइंट और तापमान नियंत्रण प्रणाली दी गई है।

 

पर्यावरण संरक्षण में भी मिलेगी मदद
ट्रेन-18 ट्रेन में 16 कोच हैं। प्रत्येक चार कोच एक सेट में हैं। ट्रेन सेट होने के चलते इस ट्रेन के दोनों ओर इंजन हैं। इंजन भी मेट्रो की तरह छोटे से हिस्से में हैं। ऐसे में इंजन के साथ ही बचे हिस्से में 44 यात्रियों के बैठने की जगह है। इस तरह से इसमें ज्यादा यात्री सफर कर सकेंगे।