Munambam Land: एक ऐतिहासिक फैसले में केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि मुनंबम को वक्फ संपत्ति के रूप में अधिसूचित करना केरल वक्फ बोर्ड का जमीन हड़पने का हथकंडा था। इसी के साथ कोर्ट ने विवादित भूमि के स्वामित्व का पता लगाने के लिए जांच आयोग नियुक्त करने के सरकारी आदेश को बरकरार रखा।

जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और श्याम कुमार वीएम की पीठ ने शुक्रवार कहा कि अनिवार्य प्रक्रिया और वक्फ अधिनियम 1954 और 1955 के अनुपालन के अभाव में संबंधित संपत्ति को कभी वक्फ संपत्ति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।

पीठ ने कहा कि विवादित भूमि को वक्फ के रूप में अधिसूचित करना वक्फ अधिनियम 1954 और 1995 के प्रविधानों के विपरीत है। इस कदम से सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है, जिन्होंने वक्फ संपत्ति की अधिसूचना से दशकों पहले जमीन खरीदी थी।

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पीठ ने आगे कहा कि यदि वक्फ की ऐसी मनमानी घोषणा को न्यायिक मंजूरी मिल जाती है, तो कल ताजमहल, लाल किला और राज्य विधानमंडल परिसर सहित कोई भी इमारत, यहां तक कि इस कोर्ट की इमारत को भी केरल वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्ति घोषित किया जा सकता है।

पूरा मामला क्या है?

एर्नाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम गांव के निवासियों ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड उनकी भूमि और संपत्तियों पर अवैध रूप से दावा कर रहा है, जबकि उनके पास पंजीकृत दस्तावेज और भूमि कर भुगतान की रसीदें हैं। केरल सरकार ने पिछले साल नवंबर में विवादित क्षेत्र में भूमि स्वामित्व का पता लगाने के लिए हाई कोर्ट के पूर्व एक्टिंग चीफ जस्टिस सीएन रामचंद्रन नायर की अध्यक्षता में एक आयोग नियुक्त किया था।

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