केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम गाने से इनकार करने वाले को देशद्रोही नहीं कह सकते। पीटीआई के अनुसार शनिवार को नकवी ने कहा कि वंदे मातरम गाना अपने पसंद की बात है और अगर कोई व्यक्ति इसे गाने से इनकार करता है तो उसे देशद्रोही का दर्जा नहीं दिया जा सकता। संसदीय मामलों अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री :स्वतंत्र प्रभार: ने कहा, ‘‘वंदे मातरम् गाना पूरी तरह किसी की अपनी पसंद है। जो लोग गाना चाहते हैं वे गा सकते हैं और जो गाना नहीं चाहते वे ना गाएं। इसे नहीं गाना किसी को देशद्रोही नहीं बनाता।’’
नकवी ने कहा कि अगर कोई जानबूझकर बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित राष्ट्र गीत का विरोध करता है तो यह ‘‘सही नहीं है’’ और ‘‘देश के हित में नहीं है।’’ महाराष्ट्र विधान परिषद् में शुक्रवार को वंदे मातरम गाने को लेकर विवाद हो गया था जहां भाजपा विधायकों ने समाजवादी पार्टी के विधायक अबु आसिम आजमी का इसलिए जोरदार विरोध किया कि वह राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में ‘वंदे मातरम्’ के गायन को आवश्यक बनाने की मांग का विरोध कर रहे थे। अबु आज़मी ने कहा कि मैं कभी भी वंदे मातरम नहीं गाऊंगा भले ही मुझे देश से बाहर क्यों न फेंक दिया जाए।
आज़मी की इस बात पर बीजेपी विधायक अनिल गोटे ने कहा कि वंदे मातरम गाने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह देशभक्ति का गाना और अबु आज़ंमी जैसे लोगों को इसके खिलाफ नहीं होना चाहिए। इस पर आज़मी सदन में चिल्लाने लगे जिसके बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता एकांत खड़से ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति देश की मिट्टी में जीता है उसी से खाता है तो इसमें क्या बुराई है। आप यहीं पैदा हुए हैं और आपकी मृत्यु के बाद आपको इसी मिट्टी में दफनाया जाएगा, तो आप क्यों इस मिट्टी के सम्मान के लिए वंदे मातरम नहीं गा सकते। इस पर अबु आज़मी ने कहा कि वंदे मातरम गाना उनके सिद्धांतों के खिलाफ है लेकिन वे हजार बार हिंदुस्तान कहने के लिए तैयार हैं। मैं केवल वंदे मातरम को अनिवार्य करने के कदम के खिलाफ हूं। अगर मेरी आस्था कहती है कि वंदे मातरम गाना मेरे सिद्धांतों के खिलाफ है तो इसे गाने के लिए मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए।