भारत और चीन के बीच पिछले साल मार्च के बाद से ही सीमाई इलाकों पर तनाव जारी है। खासकर लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के कई इलाकों पर दोनों देश की सेनाएं आमने-सामने आ चुकी हैं। इस बीच चीन की ओर से सीमापार बड़े स्तर पर निर्माण कार्य करने की खबरें आती रहती हैं। अब भारत ने भी चीन से निपटने में आ रही संसाधनों की कमी को खत्म करने के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, उत्तरी सेक्टर में भारत की ओर से सड़कों, सुरंगों और पहाड़ों को तोड़कर रास्ते बनाने का काम तेजी से पूरा हो रहा है।

अधिकारियों के मुताबिक, भारत अभी भी बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में चीन से काफी पीछे है, लेकिन इस कमी को पूरा करने के लिए तेजी से काम चल रहा है, वह भी तब जब 50,000 से 60,000 सैनिक फॉरवर्ड पोजिशन पर तैनात हैं। गौरतलब है कि चीन ने पैंगोंग सो से तो अपने सैनिकों को पीछे बुला लिया है, लेकिन हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेमचोक पर दोनों देशों की सेना उलझी हैं। इसके अलावा डेपसांग प्लेन्स पर फिलहाल चीन ने भारत की गश्त को रोक रखा है।

बताया गया है कि चीन ने एलएसी के पास सड़कों से लेकर सैनिकों को रखने तक के इंतजाम कर लिए हैं। इसके अलावा उसने हेलिपैड और जमीन से हवा में मार करने की क्षमता वाली मिसाइलें भी तैनात की हैं। लेकिन इसके जवाब में भारत ने भी तैयारियां बढ़ाई हैं। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने पिछले एक साल में ही 1200 किमी सड़क निर्माण का कार्य पूरा कर लिया है। वहीं 2850 किमी सड़क को समतल करने का काम भी पूरा हो गया है।

जिन 1200 किमी सड़कों का बीआरओ ने निर्माण किया है, उसमें सिर्फ 162 किमी राजस्थान में है, जबकि बाकी सड़क देश की उत्तरी सीमा में जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के पास बनाई गई हैं। इतना ही नहीं चीन से निपटने के लिए सरकार की ओर से 1999 में मंजूर की गईं कूटनीतिक तौर पर अहम 73 सड़कों के काम में भी तेजी आई है। इनकी लंबाई 4643 किमी है।

बीआरओ के पास इनमें से जिन 61 सड़कों (3323 किमी लंबाई) का काम था, उनमें 45 का काम पूरी तरह खत्म हो चुका है, जबकि 59 पर कनेक्टिविटी का काम भी पूरा हो गया। बाकी बची सड़कों पर जल्द ही काम पूरा होने की उम्मीद जताई गई है। इसके अलावा बीआरओ ने पिछले एक साल पहाड़ों को तोड़कर रास्ता बनाने के साथ 74 स्थायी पुल और 33 बेली ब्रिज तैयार कर लिए हैं। इसके जरिए अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से तक की कनेक्टिविटी कर ली गई है।