हंगामेदार मानसून सत्र के बाद वार-पलटवार का सिलसिला अभी भी जारी है। विपक्ष लगातार सदन के सभापति और अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा है, इसी कड़ी में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू  द्वारा विपक्षी सांसदों के व्यवहार को ‘अनियंत्रित’ और जल्द कार्रवाई करने के बयान पर टिप्पणी की। मोइत्रा ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए उच्च सदन के सभापति से कहा कि सर, कृपया अपने पद के साथ न्याय करें और तटस्थ रहें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से पूछें कि वह मानसून सत्र के दौरान एक भी दिन क्यों नहीं आए, क्यों पेगासस से जुड़े सवालों से बचते रहे।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मानसूत्र के दौरान विपक्षी दल पेगासस और कृषि कानून समेत कई मुद्दों पर लामबंद होकर हंगामा करते हुए नजर आए। जबरदस्त हंगामे के बीच मानसून सत्र को अनिश्चितकाल तक स्थगित कर दिया गया। सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में जोरदार हंगामा हुआ, संसद में विपक्षी सांसदों के मार्शलों के साथ मारपीट के सीसीटीवी फुटेज सामने आए, जिसके बाद सदन के सभापति और उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सांसदों पर जल्द ही कार्रवाई करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि सदन चर्चा के लिए होता है, यहां राजनैतिक लड़ाई सभा पटल पर नहीं लड़ी जानी चाहिए।

बताते चलें कि राज्यसभा में 10 और 11 अगस्त को विपक्षी सांसदों द्वारा जमकर हंगामा किया गया था। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए कुछ सांसदों और सदन में तैनात मार्शलों के बीच धक्कामुक्की की घटनाएं आई थीं। कुछ सांसदों ने मेज पर चढ़कर रूल बुक को भी आसन की ओर फेंक दिया था। इस मामले पर बात करते हुए नायडू भावुक हो गए थे।

वहीं लोकसभा अध्यक्ष ने भी मानसून सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ जाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि इस सत्र में अपेक्षाओं के अनुरुप सदन का कामकाज नहीं हुआ, जिसके कारण मेरा मन दुखी है। मेरी कोशिश थी कि जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो लेकिन विपक्ष का गतिरोध लगातार जारी रहा।

मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में जहां 28 फीसदी कामकाज हुआ तो वहीं लोकसभा में यह सिर्फ 22 प्रतिशत रहा। दोनों ही सदनों में हंगामे और विरोध के बीच ज्यादातर समय सत्र स्थगित ही रहा। सत्र के दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग विधेयक सहित कुल 20 विधेयकों को सभी दलों की सर्वसम्मति से पारित किया गया।