तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने की पैरवी की है। उन्होंने कहा कि हर किसी को जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। इसे मामले में पिछले 4 दिन से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। केंद्र ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए दाखिल याचिकाओं का विरोध किया है।

अभिषेक बनर्जी ने केंद्र सरकार पर इस मामले को जानबूझकर लटकाने का आरोप भी लगाया। बनर्जी ने कहा, “मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। लेकिन मुझे लगता है कि प्यार का कोई धर्म, जाति या पंथ नहीं होता है। चाहे वह पुरुष हो या महिला, हर किसी को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है।” उन्होंने कहा, “अगर मैं एक पुरुष हूं और मैं एक पुरुष से प्यार करता हूं, और अगर मैं एक महिला हूं और मैं एक महिला से प्यार करता हूं, तो हर किसी को प्यार करने का अधिकार है… हर किसी को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है, चाहे वह कोई भी हो पुरुष या महिला”

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक और हलफनामा दायर कर कोर्ट से इस मामले में सुनवाई में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पक्ष बनाए जाने की अपील की थी। इस पर भी अभिषेक बनर्जी ने टिप्पणी की। बनर्जी ने कहा कि सरकार इस मामले को जानबूझकर लटका रही है। उन्होंने कहा, “ऐसे हथकंडे बेवजह मामले को लटकाते हैं। अगर वे राय लेने के बारे में इतने गंभीर थे, तो पिछले सात सालों में ऐसा कर सकते थे। वे इस मामले को बेवजह लटकाए रखना चाहते हैं।”

इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि कोई राज्य किसी व्यक्ति के साथ उनकी यौन विशेषताओं के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है, जिस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। वहीं, केंद्र ने एक एफिडेविट दाखिल कर कहा कि सेम सेक्स मैरिज का विचार शहरी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि केंद्र के पास इसके लिए पर्याप्त डेटा मौजूद नहीं है, जो इस बात को सिद्ध कर सके।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। सीजेआई ने कहा कि समलैंगिक विवाह की मांग को लेकर शहरी क्षेत्रों से अधिक लोग सामने आ रहे हैं, लेकिन सरकार के पास इस तरह का डेटा नहीं है, जिससे यह सिद्ध हो कि समलैंगिक विवाह एक शहर, एलिट कॉन्सेप्ट है।