तिरुपति प्रसाद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने SIT बनाने का ऐलान कर दिया है। पांच सदस्यों की एक टीम बनाने की बात हुई है। एसआईटी की इस टीम में सीबीआई अधिकारियों से लेकर FMCG के सदस्यों को शामिल किया जाएगा। इससे पिछली सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि इस मामले में किसी भी तरह की राजनीति से दूर रहा जाएगा और सारा फोकस सिर्फ जांच पर होगा।
तिरुपति विवाद: SIT में कौन-कौन शामिल?
अब बताया जा रहा है कि एसआईटी में दो सीबीआई के अधिकारी, दो राज्य सरकार के अधिकारी और एक FMCG के सदस्य को रखा जाएगा। वैसे तो राज्य सरकार ने भी इस मामले में एसआईटी का ही गठन किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ कहा है कि यह मामला आस्था से जुड़ा हुआ है, ऐसे में इसमें स्वतंत्र जांच होना जरूरी है। उसी वजह से राज्य सरकार की नहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई एसआईटी टीम मामले की जांच करेगी।
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद को लेकर क्यों चल रहा विवाद?
तिरुपति प्रसाद: सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच कर रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कई मौकों पर कहा कि आस्था से जुड़े मुद्दों में सियासी ड्रामा नहीं होना चाहिए। इसी वजह से एसआईटी बनाई जरूर गई, लेकिन उसमें सभी पक्षों के अधिकारियों को शामिल किया गया। वैसे राज्य सरकार और याचिकाकर्ता ने भी इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। राज्य सरकार ने कहा था कि कोर्ट चाहे तो अपना चुना हुआ कोई अधिकारी भी एसआईटी में शामिल करवा सकता है। इसी तरह याचिकाकर्ता चाहते थे कि किसी स्वतंत्र एजेंसी को जांच का जिम्मा सौंप दिया जाए।
यह विवाद शुरू कैसे हुआ?
असल में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू एनडीए की एक बैठक में कहा था कि जो तिरुमाला लड्डू मिलता था, वो खराब क्वालिटी का होता था, वो घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल कर रहे थे। जब से टीडीपी की सरकार आई है, पूरी प्रक्रिया को साफ किया गया है और लड्डू को गुणवक्ता को सुधारा गया है।
ये प्रसाद बनता कैसे है?
अब इस प्रसाद को लेकर विवाद तो हो रहा है, लेकिन इससे पहले तक जब भी खबरें आती थी, जिक्र सिर्फ उस प्रसाद की भव्यता का होता था। अब इस प्रसाद को लेकर बताया जाता है कि इसे एक स्पेशल किचन में बनाया जाता है, आंध्र प्रदेश में इसे Potu कहते हैं। वही प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी भी एक खास वर्ग को दी जाती है जो पिछली कई सदियों से इसी काम में लगे हुए हैं, यानी कि उन लोगों के लिए यह संस्कृति का हिस्सा बन चुका है।
बड़ी बात यह है कि जो इस प्रसाद को बनाते हैं, उन्हें अपना सिर मुंडवाना पड़ता है, सिर्फ एक सिंगल कपड़ा पहनने की अनुमति रहती है। इस प्रसाद को बनाने के लिए घी के अलावा, चना बेसन, चीनी, चीनी के छोटे टुकड़े, काजू, इलायची, कपूर और किशमिश का उपयोग होता है। यह प्रसाद इतना खास है कि 2014 में इसे GI टैग भी मिल चुका है।