आंध्र प्रदेश के तिरुपति में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है। यह मामला मंदिर में आए मेहमानों को भेंट किए गए रेशमी शॉल के मामले का है। तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड के द्वारा कराई गई जांच में पता चला है कि ये रेशमी शॉल पॉलिएस्टर से बने थे ना कि शुद्ध रेशम से।

इससे पहले प्रसाद के लिए बनाए गए लड्डुओं में नकली घी का इस्तेमाल होने का मामला काफी चर्चा में रहा था।

टीटीडी बोर्ड के अध्यक्ष बीआर नायडू ने बताया कि सतर्कता विभाग की जांच में चित्तूर जिले के नागरी स्थित मेसर्स वीआरएस एक्सपोर्ट के शामिल होने का संकेत मिला है।

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55 करोड़ रुपये की शॉल का ऑर्डर

टीटीडी की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘बोर्ड ने 2015 से अब तक लगभग 55 करोड़ रुपये की 21,600 रेशमी शॉल का आर्डर दिया है। शॉल की क्वालिटी पर संदेह हुआ और इसके बाद विजिलेंस की टीम ने कार्रवाई करते हुए इन शॉल को सेंट्रल सिल्क बोर्ड की प्रयोगशाला में भेज दिया।’

टीटीडी के मुताबिक, रिपोर्ट से पता चला है कि शॉल में पॉलिएस्टर की मात्रा ज्यादा थी और इनमें शुद्ध रेशम नहीं था।

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क्या है शॉल की खरीद के लिए नियम?

रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘रेशमी शॉल की खरीद के लिए नियम यह है कि शॉल का कपड़ा पूरी तरह से शुद्ध शहतूत रेशम से बुना होना चाहिए, उस पर भारत के सिल्क मार्क संगठन द्वारा प्रमाणित सिल्क मार्क लेबल होना चाहिए और इसमें सोना और चांदी से मुक्त और टेस्टेड जरी का इस्तेमाल होना चाहिए।’

रिपोर्ट में कहा गया है, “कपड़े में 100 एंड्स प्रति इंच, 80 पिक्स प्रति इंच होना चाहिए, दोनों तरफ 2.5 इंच का बॉर्डर होना चाहिए और बीच में शंकु, चक्र और नामम के साथ तेलुगु और संस्कृत में ‘ओम नमो वेंकटेशाय’ लिखा होना चाहिए। शॉल का वजन 180 ग्राम होना चाहिए, जिसमें कम से कम 110 ग्राम गोंद रहित और रंगे हुए रेशम शामिल हों, और शेष वजन जरी और बॉर्डर का हो।”

टीटीडी के अधिकारियों ने कहा कि जब उन्होंने तिरुमाला में रेशमी शॉल के स्टॉक की जांच की तो उन्हें शक हुआ कि यह कपड़ा रेशम नहीं है और उन्होंने इसकी जांच के लिए सैंपल भेजे। सतर्कता विभाग ने कहा, “यह नकली रेशम था, शुद्ध रेशम नहीं, कपड़े में काफी मात्रा में पॉलिएस्टर मिला हुआ था।”

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कांट्रेक्ट रद्द करने की तैयारी

टीटीडी ने कहा कि यह टेंडर की शर्तों का उल्लंघन है और धोखाधड़ी का मामला है, इसलिए एसीबी इस मामले में जांच शुरू कर रही है। इसके साथ ही मेसर्स वीआरएस एक्सपोर्ट्स और उसकी दो सहयोगी कंपनियों को दिया गया कांट्रेक्ट भी रद्द किया जा रहा है।

घी में मिलावट के लगे थे आरोप

इससे पहले तिरुमाला मंदिर में 2019 से 2024 के बीच प्रसाद के लिए जो लड्डू बनाए गए थे, इन लड्डुओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट के आरोप लगे थे।

जांच में पता चला था कि एक ऐसी डेयरी कंपनी जिस पर बैन लगा था, उसने नकली घी की सप्लाई की और इनका इस्तेमाल लड्डू बनाने में किया गया। तब यह मामला काफी चर्चा में रहा था।

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