राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र में ‘पाञ्चजन्य ‘ में मैसूर के पूर्व शासक टीपू सुल्तान को दक्षिण भारत का औरंगजेब बताया गया है। इसमें छपे आर्टिकल में टीपू सुल्तान की जयंती मनाने के कर्नाटक सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना की गई है। आर्टिकल के मुताबिक, ‘टीपू सुल्तान हमेशा से विवादित शख्सियत रहा। उसकी जयंती मनाने का इकलौता मकसद सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण है। इस फैसले ने टीपू समर्थक और विरोधियों के बीच एक नई बहस छेड़ दी है।’ यह आर्टिकल सतीश पेडणेकर ने लिखा है, जिसका शीर्षक है- ‘टीपू सुल्तान का सच- दक्षिण का औरंगजेब’।
पेडणेकर की नजर में हिंदू संगठनों को लगता है कि टीपू धर्मनिरपेक्ष नहीं था। वह असहिष्णु और अत्याचारी शासक था। दक्षिण भारत का औरंगजेब था। उसने लाखों लोगों को जबरन मुस्लिम धर्म अपनाने पर मजबूर किया। वह बड़ी संख्या में मंदिरों को ध्वस्त करने का भी जिम्मेदार था। वह आगे लिखते हैं, ‘टीपू विरोधियों का कहना है कि उन्होंने कर्नाटक के कूर्ग और मंगलोर इलाके में बड़े पैमाने पर हिंदुओं की हत्या कराई थी और उन्हें जबरन मुसलमान भी बनाया था।’ अपने इस दावे की पुष्टि करने के लिए पेडणेकर ने इतिहास का हवाला देते हुए 1788 में हुए एक युद्ध का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि टीपू की सेना ने कूर्ग पर आक्रमण किया था। इस दौरान कई गांव जला दिए गए थे। उनके मुताबिक, टीपू के एक दरबारी और मीर हुसैन किरमानी ने इन हमलों के बारे में विस्तार से लिखा है। ये सारे तथ्य मौजूद होने के बावजूद टीपू के समर्थक कहते हैं कि उस जमाने में यह सब सामान्य बात थी।
आर्टिकल में यह भी दावा किया गया है कि मुस्लिम सुल्तानों की परंपरा के मुताबिक टीपू ने अपने दरबार में घोषणा की थी, ‘मैं सभी काफिरों को मुसलमान बनाकर रहूंगा।’ पेडणेकर ने लिखा कि टीपू ने अपने राज्य में लगभग 5 लाख हिंदुओं को जबरन मुसलमान बनाया। हजारों की संख्या में कत्ल कराए। टीपू के शब्दों में, ‘यदि सारी दुनिया भी मुझे मिल जाए, तब भी मैं हिंदू मंदिरों को नष्ट करने से नहीं रुकूंगा।’

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