हाल में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में माना कि सीजेआई का कार्यालय एक ‘पब्लिक अथॉरिटी’ है और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) का कार्यालय ‘सूचना के अधिकार’ (RTI) के दायरे में आएगा। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकार रखते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा, “पारदर्शिता न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर नहीं करती है।” हालांकि, अदालत ने इस दौरान यह भी कहा कि इसकी गोपनीयता बरकरार रहेगा। यह फैसला चीफ जस्टिस समेत पांच जजों की संविधान पीठ ने दिया है। इस पीठ में जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपक गुप्ता शामिल हैं।
इस फैसले के बाद से राजनीतिक पार्टियों को भी सूचना के अधिकार के दायरे में आने की बहस एक बार फिर से तेज हो गई है। इस कड़ी में एक टीवी चैनल पर बातचीत के दौरान टीवी एंकर केंद्रीय कानून मंत्री से भिड़ गई और कहा कि लीगल बात कीजिए आरटीआई में चंदा कहां से आता है। इस पर मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि ये बताइए चैनल की फंडिंग कहां से होती है।
NDA mantri confronted like never before. Watch Law & Telecom Minister @rsprasad break his silence on whether Centre wants to regulate media or not.
Join Navika Kumar in conversation with Ravi Shankar Prasad only on TIMES NOW tonight at 8 PM. | #FranklySpeakingWithRaviShankar pic.twitter.com/TBluEAnNr3
— TIMES NOW (@TimesNow) November 17, 2019
दरअसल, एंकर ने कहा कि आरटीआई का मुद्दा साधारण मुद्दा है लोगों ने अपने लिए जिस सरकार का चुनाव किया है। उन्हें उस सरकार के बारे में जानने का हक है कि पार्टी के पास से फंड कहां से आ रहा है। इस पर कानून मंत्री रविशंकर ने कहा कि आप अपने बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं। इस पर एंकर ने कहा कि मैं निजी जानकारी की बात नहीं कर रही हूं। मैं राजनीतिक पार्टी की बात कर रही हूं। आप पैसे का मामला नहीं शेयर करना चाहते मोटी बात तो यही है। इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हो सकता है एक दिन ऐसा आएगा कि लोग जानना चाहेंगे कि न्यूज चैनल्स के पास कहां से फैसा आता है। इस पर एंकर ने कहा कि लीगल बात कीजिए आप कानून मंत्री हैं।