दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। अब तिहाड़ जेल में बंद कैदी अपने डेली यूज के समान का प्रोडक्शन खुद ही करेंगे। इसके लिए तिहाड़ जेल प्रशासन इन हाउस यूनिट लगवाएगा। इसके जरिए चप्पल, टूथपेस्ट और यहां तक कि अंडरवियर से लेकर ये सभी सामान जल्द ही तिहाड़ जेल के कैदी अपने डेली उपयोग के लिए बना सकते हैं। जेल प्रशासन ने अनुमति लेने के लिए प्रस्ताव भेजने का फैसला किया है।
तिहाड़ जेल में बंद हैं 20 हजार कैदी
सूत्रों ने बताया कि यह प्रस्ताव तिहाड़ प्रशासन द्वारा 20,000 कैदियों वाली जेल प्रणाली को चलाने की लागत में कटौती करने के लिए विचार किए जा रहे कई प्रस्तावों में से एक है। तिहाड़ जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अगर मंजूरी मिल जाती है, तो इकाइयों को संचालित करने के लिए एक बोर्ड का गठन किया जाएगा। बोर्ड में तिहाड़ के अधिकारी और कैदी दोनों शामिल होंगे। पहले दो यूनिट स्थापित करने के लिए प्रारंभिक प्रस्ताव भेजा जाएगा।
अधिकारी ने कहा, “एक चप्पल बनाने के लिए और दूसरी रजिस्टर बनाने के लिए होगी। रजिस्टर यूनिट में कैदियों को पन्नों को रंगना, प्रिंट करना और बांधना होगा। यह ज्यादातर इन-हाउस इस्तेमाल के लिए होगा। यहां तक कि जो चप्पलें बनाई जाएंगी, वे भी कैदियों के लिए होंगी।
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अभी तिहाड़ में क्या बनता है?
वर्तमान में तिहाड़ जेल में अन्य चीजों के अलावा बेक्ड मिठाइयां, फर्नीचर, मसाले और स्नैक्स बनाने वाली इकाइयां हैं। तिहाड़ के कैदियों द्वारा बनाए गए फर्नीचर का इस्तेमाल दिल्ली के सरकारी स्कूलों में किया जाता है, जबकि तिहाड़ बेकरी आउटलेट दिल्ली में कई जगहों पर बेक्ड आइटम बेचते हैं। दर्जी के तौर पर काम करने वाले कैदियों द्वारा बनाई गई सफेद शर्ट दिल्ली के वकील भी खरीदते हैं।
तिहाड़ के एक अधिकारी ने कहा, “हालांकि मौजूदा इकाइयां जेल के अंदर की मांग को पूरा करेंगी और लाभ कमाने के लिए नहीं होंगी। लेकिन कैदियों को शामिल करते हुए प्रबंधन की एक नई प्रणाली बनाई जाएगी ताकि बेहतर व्यावसायिक प्रथाओं को लागू किया जा सके और संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके।”
अधिकारी ने कहा कि इन इकाइयों को बनाने का प्राथमिक उद्देश्य श्रमिकों के बीच रोजगार दर को बढ़ाना है, साथ ही दैनिक उपयोग के उत्पादों की खरीद की लागत में भी काफी कमी लाना है।अधिकारी ने कहा, “हम ऐसे उत्पादों के निर्माण का प्रस्ताव देंगे, जिनकी आम तौर पर बड़े पैमाने पर खरीद की आवश्यकता होती है। हमारी गणना से पता चलता है कि तिहाड़ जेल के अंदर उन्हें बनाने में हमें बहुत कम लागत आएगी। लेकिन हमारा प्राथमिक उद्देश्य कैदियों को यथासंभव व्यस्त रखना है।” इन इकाइयों में कैदियों को विभिन्न भूमिकाओं में नियुक्त किया जाता है, जिन्हें अकुशल, अर्ध-कुशल और कुशल श्रमिकों के रूप में लेबल किया जाता है।”
तीन श्रेणी के होता हैं श्रमिक
जिन कैदियों को जेल के अंदर कभी काम नहीं मिला है, वे अकुशल श्रमिक के रूप में काम शुरू करते हैं। तीन महीने के बाद, वे अर्ध-कुशल श्रमिकों में बदल जाते हैं और छह महीने के बाद, उन्हें कुशल श्रमिक माना जाता है। तिहाड़ जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “एक अकुशल श्रमिक औसतन 7,000 रुपये प्रति माह कमाता है, जबकि एक कुशल श्रमिक 10,000 रुपये प्रति माह तक कमाता है। सभी कैदियों में से कम से कम 8% को किसी न किसी तरह की नौकरी में नियोजित होना आवश्यक है। हमारा उद्देश्य रोजगार के इन नए अवसरों के साथ इसे 25% तक बढ़ाना है।”
तिहाड़ की वर्तमान क्षमता के बारे में अधिकारी ने कहा था कि जेल 1 से 9 को लगभग 5,000 कैदियों को रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन वर्तमान में इनमें 12,000 से अधिक कैदी हैं। एक सूत्र ने बताया, “जेल संख्या 10 से 16 को लगभग 3,700 कैदियों को रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन वर्तमान में इनमें 3,900 से ज़्यादा कैदी हैं।
तिहाड़ में जेल संख्या 4 और मंडोली जेल में जेल संख्या 12 को ‘मुलैजा जेल’ के नाम से जाना जाता है, जिसका मतलब है पहली बार अपराध करने वाले। इन दोनों जेलों में हमारे पास बड़ी संख्या में कैदी हैं।” इन इकाइयों के लिए प्रस्ताव अधीक्षक (फ़ैक्ट्री) और अधीक्षक (मुख्यालय) की देखरेख में तैयार किया जा रहा है और जल्द ही इसे सक्षम अधिकारियों को भेजा जाएगा।