पश्चिम बंगाल में दो लोगों द्वारा कथित तौर पर एनआरसी के खौफ में जान देने का मामला सामने आया है। कहा जा रहा है कि इन लोगों को डर था कि अगर राज्य में एनआरसी लागू हुआ तो इनका नाम इसमें शामिल नहीं हो पाएगा। खबर के मुताबिक, 42 साल के कालाचंद मिदया शनिवार सुबह से ही लापता चल रहे थे। रविवार को अपने घर से एक किमी दूर एक बांस के पेड़ से झूलती हुई उनकी लाश मिली। यह वारदात दक्षिणी 24 परगना जिले की है।

कालाचंद के परिवार का दावा है कि उन्होंने इस खौफ में जान दे दी कि अगर राज्य में एनआरसी लागू हुआ तो उनका नाम शायद लिस्ट में न आए। पुलिस ने उनका शव बरामद किया और बाद में उनकी शिनाख्त पत्नी सलमा बीबी ने की। सलमा ने बताया, ‘वह राज्य में एनआरसी लागू होने की आशंकाओं को लेकर खौफजदा थे। वह और ज्यादा परेशान हो गए जब उन्हें जरूरी दस्तावेज नहीं मिले। उन्होंने इस डर में जान दे दी कि कहीं उन्हें यहां से बाहर न कर दिया जाए।’

वहीं, 35 साल के कमल हुसैन मंडल की लाश नॉर्थ 24 परगना जिले के बाशीरहाट में रविवार को मिली। उनका शव उनके घर के नजदीक एक आम के पेड़ से झूलता हुआ मिला। वह ईंट भट्टे पर मजदूरी कर जिंदगी गुजर बसर करते थे। उनके परिवारवालों ने कहा कि मंडल काफी वक्त से सरकारी दफ्तरों और राशन की दुकानों का चक्कर लगा रहे थे ताकि वे अपने वोटर आईडी, आधार और राशन कार्ड में नाम बदलवा सकें।

मृतक के भाई जमील ने बताया कि वह अपनी संपत्ति के कागज न मिल पाने की वजह से भी बेहद परेशान थे। बता दें कि नॉर्थ 24 परगना के शासन क्षेत्र में कथित तौर पर एनआरसी के खौफ में एक और मौत का मामला सामने आया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि 55 साल के आयप अली पंचायत और बीडीओ ऑफिस के चक्कर लगा रहे थे। उन्हें अपनी संपत्ति के कागजात नहीं मिल रहे थे। शनिवार को अली की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें बारासात अस्पताल ले जाया गया।

उनके चचेरे भाई हसन अली ने बताया कि बीते 7 दिनों से एनआरसी की वजह से परेशान चल रहे आयप अली की तबीयत बिगड़ गई थी। बता दें कि सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दावा किया था कि एनआरसी लागू किए जाने के डर की वजह से दो और लोगों की जान भी गई है। एक शख्स ने जलपाईगुड़े जिले में सुसाइड कर लिया। वहीं, दक्षिणी दिनाजपुर जिले में दूसरे व्यक्ति की तबीयत बीडीओ दफ्तर में लंबे वक्त तक लाइन में लगे होने के बाद बिगड़ गई थी। वह अपने राशन कार्ड में सुधार कराने के लिए गया था।