पुलवामा हमले के बाद सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी टिप्पणी करने के आरोपी छात्रों को बेंगलुरु की एक अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत से साफ कहा कि फेसबुक चैट छात्रों की निजी बातचीत थी।

मामले की सुनवाई के बाद एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज ने सैयद बी. रहमान ने 20 सिंतबर को तीन कश्मीरी छात्रों की जमानत मंजूर कर दी। अदालत ने कहा कि उक्त बातचीत छात्रों को बीच उनके फेसबुक अकाउंट के जरिये विशुद्ध रूप से निजी बातचीत थी। छात्रों की बातचीत आईपीसी की धारा 124 (ए) और 153 (बी) के तहत आएगी, इस बात का मेरिट के आधार पर विचार किया जाना चाहिए।

एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज ने कहा, ‘दोस्तों के बीच फेसबुक बातचीत के अलावा आरोपी संख्या संख्या 1 से 3 के खिलाफ किसी भी अन्य तरह के गंभीर आरोप नहीं हैं। आरोपी संख्या 1 से 3 की उम्र को देखते हुए और इस तथ्य का ध्यान रखते हुए कि वे लोग पढ़ाई कर रहे हैं, मैं महसूस करता हूं कि इनके भविष्य के हित में इन्हें बेल मिलनी चाहिए।’

इससे पहले 19 मार्च को प्रिंसिपल सेशन कोर्ट ने इन छात्रों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत का कहना था कि इन छात्रों की टिप्पणी भारत की अखंडता को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके बाद जम्मू और कश्मीर के छात्रों ने एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन कोर्ट में नए सिरे से जमानत की याचिका दायर की थी।

छात्रों को एक-एक लाख रुपये पर्सनल बॉन्ड, एक स्थानीय श्योरिटी और 25-25 हजार रुपये के कैश श्योरिटी पर रिहा किया गया। मालूम हो कि 20 वर्षीय हारिस मंजूर, 21 वर्षीय गौहर मुस्ताक दोनों स्टूडेंट्स स्पूर्ती कॉलेज ऑफ नर्सिंग में पढाई करते हैं। वहीं तीसरा छात्र 23 वर्षीय जाकिर मकबूल चिन्नई कॉलेज ऑफ नर्सिंग का छात्र है। 16 अक्तूबर को स्पूर्ति नर्सिग कॉलेज के प्रिंसिपल बाबू धर्मराजन की शिकायत के बाद इन तीनों छात्रों को गिरफ्तार किया गया था।

प्रिंसिपल की तरफ से दी गई शिकायत में कहा गया था कि इन छात्रों ने सोशल मीडिया पर भारतीय सेना के खिलाफ पोस्ट किया था। इसके बाद कॉलेज हॉस्टल में झगड़ा हो गया था।