एनआरसी की फाइनल लिस्ट आने से पहले असम में लोगों के बीच डर का माहौल है। राज्य में एक ही सवाल लोगों की जुबान है पर है कि किसका नाम लिस्ट में शामिल होगा और किसका नाम लिस्ट में शामिल होने से वंचित रह जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निगरानी में चार साल पहले एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
एनआरसी के पहले प्रकाशित हुए मसौदे में करीब 40 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं हो पाया था। इस साल जून में जारी हुई सूची में एक लाख और नामों को शामिल किया गया था। सूची में शामिल होने से वंचित लोगों ने फिर से आवेदन किया था।
दूसरी तरफ करीब 4 लाख लोगों ने दुबारा आवेदन नहीं किया है। इस तरह इन लोगों को एनआरसी की फाइनल लिस्ट में स्थान नहीं मिलेगा। मीडिया में आ रही खबरों और तमाम अनुमानों के विपरीत केंद्र सरकार और असम सरकार ने लोगों को आश्वस्त किया है कि जिन लोगों को नाम एनआरसी की अंतिम सूची में शामिल नहीं होगा उन्हें विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा।
सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि उन्हें डिटेंशन सेंटर भी नहीं भेजा जाएगा। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ऐसे लोगों को बांग्लादेश नहीं भेजा जाएगा। लिस्ट में नाम नहीं आने वाले लोगों को खुद को भारतीय नागरिक साबित करने का एक और मौका दिया जाएगा।
ऐसे लोग अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कानूनी तरीके से पहले विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) और बाद में सिविल कोर्ट में अपील कर सकते हैं। एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशित होने के 120 दिन के भीत उन्हें अपील दायर करनी होगी। इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि सूची में नाम शामिल होने से वंचित लोग विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में अपील कर सकेंगे।
विदेशी कानून, 1946 और विदेशी (ट्रिब्यूनल) आदेश, 1964 के प्रावधानों के तहत सिर्फ विदेशी ट्रिब्यूनल ही व्यक्ति को विदेशी घोषित कर सकता है। एफटी में अपील दाखिल करने की समयावधि 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन करने से सूची से छूट गए सभी लोगों को समान अवसर मिलेगा।