मदन गुप्ता सपाटू
2020 में वह सब कुछ ऐसे हो रहा है, जो कभी किसी सदी में आजतक नहीं हुआ। नवरात्र पूरे एक महीने देरी से आ रहे हैं। फिर महामारी के कारण मंदिरों में दूरी बनाई रखनी पड़ेगी। रामलीला और रावण दहन का उत्साह फीका होगा।
अधिकमास समाप्त होने के बाद नवरात्र 17 अक्तूबर से शुरू हो जाएगी। विजयादशमी 25 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इस बार नौ दिनों में ही दस दिनों का पूर्व पूरा हो जाएगा। इसका कारण तिथियों का उतार चढ़ाव है। 24 अक्तूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक अष्टमी है और उसके बाद नवमी लग जाएगी।
दो तिथियां एक ही दिन पड़ रही हैं। इसलिए अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन होगी जबकि नवमी के दिन सुबह 7 बजकर 41 मिनट के बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इस कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन आयोजित होंगे। कुल मिलाकर 17 से 25 अक्तूबर के बीच नौ दिनों में दस पर्व संपन्न हो रहे हैं।
मां दुर्गा के वाहन का पड़ेगा प्रभाव
इस बार शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार को हो रहा है. ऐसे में देवीभागवत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार माता का वाहन अश्व होगा। घोड़े पर आएंगी मां, भैंस पर होंगी विदा, अश्व पर माता का आगमन छत्र भंग, पड़ोसी देशों से युद्ध, आंधी तूफान लाने वाला होता है। ऐसे में आने वाले साल में कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल हो सकता है। कृषि के मामले में आने वाल साल सामान्य रहेगा। देश के कई भागों में कम वर्षा होने से कृषि का हानि और किसानों को परेशानी होगी। इस बार मां भैंसे पर विदा हो रही हैं और इसे भी शुभ नहीं माना जाता है।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि 17 अक्तूबर की रात 1 बजे से प्रारंभ होगी। वहीं, प्रतिपदा तिथि 17 अक्तूबर की रात 09 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, यानी 17 अक्तूबर को घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक का है। अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
पहले दिन मां शैलपुत्री की होती है पूजा
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां पार्वती माता शैलपुत्री का ही रूप हैं और हिमालय राज की पुत्री हैं। माता नंदी की सवारी करती हैं।
इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। नवरात्रि के पहले दिन लाल रंग का महत्व होता है। यह रंग साहस, शक्ति और कर्म का प्रतीक है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना पूजा का भी विधान है।
17 अक्तूबर, शनिवार: नवरात्रि प्रारंभ, घट स्थापना या कलश स्थापना, दुर्गा पूजा और महाराजा अग्रसेन जयंती।
18 अक्तूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्तूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्तूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्तूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्तूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्तूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्तूबर- शनिवार: मां महागौरी दुर्गा पूजा, दुर्गा अष्टमी और महानवमी।
25 अक्तूबर- रविवार: मां सिद्धिदात्री पूजा, दशहरा, विजयादशमी, नवरात्रि पारण।
26 अक्तूबर, सोमवार: दुर्गा विसर्जन।