आनुवंशिक सामग्री की चोरी और उसका उपयोग करने वालों की संख्या बढ़ रही है। दुनिया में आनुवंशिक चोरी की घटनाएं या इससे बचने के लिए बरती जाने वाली अत्यधिक सावधानियां सुर्खियां बन रही हैं। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों की एक तस्वीर हाल में सुर्खियों में आई, जिसमें दोनों नेता एक लंबी मेज के दो छोर पर बैठे थे। मैक्रों ने रूसी एजंसियों से कोविड संक्रमण की जांच (आरटी-पीसीआर) कराने से मना कर दिया था। तब लंबी मेज के दो छोर पर दोनों नेता बैठे।
तब इस बात के कयास लगाए गए थे कि मैक्रों ने सुरक्षा चिंता के कारण जांच कराने से मना किया था। उनकी चिंता थी कि रूस उनका नमूना लेकर उनका डीएनए हासिल कर लेगा, जिसका इस्तेमाल गलत मकसद के लिए किया जा सकता है। मैंक्रों से पहले जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने भी रूस में कोविड जांच कराने से मना कर दिया था। पाप स्टार मैडोना ने तो एक दशक पहले बिना सहमति के, चुपके से डीएनए लेने और उसकी जांच को लेकर चिंता व्यक्त कर दी थी।
उन्होंने अपने हर समारोह के बाद कमरों को साफ करने के लिए कर्मचारी रखे हुए थे और उन्हें अपने हर दौरे के लिए शौचालय की नई सीट चाहिए होती थी, ताकि उनका डीएनए को हासिल नहीं किया जा सके। तब दुनिया भर में मैडोना का उपहास उड़ाया गया। अब उन्नत, तेज और सस्ती आनुवंशिक प्रौद्योगिकियों के चलते इस तरह की चिंता को तर्कसंगत और उचित माना जाने लगा है। आनुवंशिकी में बढ़ती जन रुचि ने इस संभावना को बढ़ा दिया है कि डीएनए संग्रह किट जल्द ही इतनी आम हो सकती है जितने कि कैमरे हैं।
मैरीलैंड विश्वविद्यालय की लिजा वर्टिंस्की, और जार्जिया राज्य विश्वविद्यालय के यानिव हेलेड के मुताबिक, दरअसल आप जहां भी जाते हैं वहां अपना डीएनए छोड़कर आते हैं। यह बाल में, नाखून में, मृत त्वचा में और राल में होता है। आनुवंशिक विश्लेषण न केवल व्यक्तिगत जानकारी, जैसे मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों या कुछ बीमारियों के होने के जोखिम को प्रकट कर सकता है, बल्कि किसी व्यक्ति की पहचान के मुख्य पहलुओं, जैसे कि उनके वंश और उनके भविष्य के बच्चों के संभावित लक्षण का भी पता चल सकता है।
जैसे-जैसे आनुवंशिक प्रौद्योगिकियां विकसित हो रही हैं, वैसे-वैसे इन ‘विट्रो गैमेटोजेनेसिस’ के माध्यम से प्रजनन उद्देश्यों के लिए गुप्त रूप से एकत्रित आनुवंशिक सामग्री का उपयोग करने की भी आशंका है। किसी व्यक्ति की आनुवंशिक सामग्री और जानकारी को उनकी सहमति के बिना लेना दुनिया भर में कानूनन गलत है। व्यक्तियों की आनुवंशिक सामग्री और जानकारी के संबंध में उनके हितों की रक्षा करने वाले दुनिया भर में कुछ कानून हैं, जिनको लेकर चर्चा चल रही है।
पूरी दुनिया में मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत कुछ सवाल उठाए जा रहे हैं। जानकारों की राय में, जब जानी-मानी हस्तियों के आनुवंशिक चोरी से जुड़े विवाद अदालत कक्ष में पहुंचेंगे, तो न्यायाधीशों को इन मौलिक प्रश्नों का सामना करना होगा कि कैसे आनुवंशिकी व्यक्तित्व और पहचान, संपत्ति, स्वास्थ्य और बीमारी, बौद्धिक संपदा और प्रजनन अधिकारों से संबंधित है।
कानून प्रवर्तन में आनुवंशिकी के उपयोग, डीएनए को पेटेंट कराना और छोड़ी गई आनुवंशिक सामग्री के स्वामित्व से जुड़े मामलों में इस तरह के प्रश्न पहले ही उठाए जा चुके हैं। इनमें से प्रत्येक मामले में अदालतों ने आनुवंशिकी के केवल एक आयाम पर ध्यान केंद्रित किया है जो गोपनीयता का अधिकार या जैव चिकित्सा अनुसंधान के लिए आनुवंशिक जानकारी का मूल्य है। जानकारों का मानना है कि मौजूदा कानूनों और आनुवंशिक प्रौद्योगिकी की वर्तमान स्थिति के तहत, अधिकांश लोगों को गुप्त रूप से डीएनए लिए जाने और उनके उपयोग के बारे में उस तरह से चिंता करने की जरूरत नहीं है जिस तरह से जानी-मानी हस्तियां चिंतित हैं।
