छह दिसंबर को 1992 में ढहे विवादित ढांचे को ढहे हुए पूरे 25 साल हो गए हैं। इस दरमियान जुड़वां शहर अयोध्या-फैजाबाद की एक पूरी पूरी नौजवान हो गई है। इस नई पीढ़ी का इस विवाद को लेकर सोचना अपनी पुरानी पीढ़ी से अलग है। वह चाहती है कि इसका निपटारा जल्द हो और यह इलाके के पढ़े लिखे युवकों को नई चुनौतियों के बीच अपने इरादे पूरे करने का मौका मिले। सबसे दिलचस्प यह है कि ज्यादार किशोर और युवाओं को छह दिसंबर के घटनाक्रम की शुरुआती जानकारी अपने परिवार से ही मिली और जब वे बढ़ हुए तो संचार क्रांति उनकी जिंदगी में दस्तक दे रही थी। इंटरनेट युग कंप्यूटर और लैपटॉप से होते हुए छोटे से स्मार्टफोन में समा चुका था। इसके बाद इन युवाओं ने इंटरनेट से पूरे विवाद के बारे में जाना।
इस बारे में अनुराग तिवारी का कहना है कि उन्हें पहले पहले उन्हें घटना के बारे में उनकी दादी बताया था। जब वे बड़े हुए तो इंटरनेट पर सर्च करके छह 6 दिसंबर की पूरी घटना की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में 6 दिसंबर की घटना की समय-समय पर चर्चा होती थी। इससे मुझे आभास हो रहा था कि इस दिन जरूर कुछ बड़ा घटा था। इंटरनेट से उन्हें विस्तार से इसका पता चला। इंजीनियरिंग के छात्र अखिलेश कुमार का कहना है बाबरी ढांचे के बाबत सबसे पहले उनकी मां ने पूरी कहानी सुनाई थी। बाद में इंटरनेट के माध्यम से अयोध्या की घटना के बारे में विस्तार से जाना। उन्होंने घटनाक्रम की हार्डकॉपी भी बनाई है। इसकी वजह यह है कि भविष्य में कभी किसी इंटरव्यू में इस बारे में पूछा जा सकता है। सूरज जायसवाल हैं पढ़ाई पूरी करके कारोबार कर रहे हैं। उनका कहना है कि छङ दिसंबर की घटना के बारे में पिताजी ने उन्हें सबसे पहले बताया था और चूंकि वे फैजाबाद में ही रहते हैंं इसलिए स्कूल में भी इस घटना पर चर्चा होती रहती थी। लेकिन सटीक और विस्तृत जानकारी इंटरनेट से मिली। हम युवा चाहते हैं कि अयोध्या विवाद जल्द से जल्द हल हो ताकि फैजाबाद अयोध्या का उद्योग व्यापार ठीक से चल सके।
बीएससी की छात्रा अंकिता शुक्ल का कहना है कि उन्हें विवाद के बारे में सबसे पहले मां ने बताया था। उसके बाद पुराने अखबारों से उन्होंने कुछ जानकारी जुटाई थी। अब इस बारे में जानकारी मैंने नेट के जरिए हासिल की है। फिर उन्होंने अयोध्या जाकर पूरी सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी की थी। इस प्रकरण पर मेरा और अधिक ध्यान तब गया जब वहां पर आतंकी हमला हुआ। अंकिता का भी मानना है कि अयोध्या विवाद जल्द हल होना चाहिए। अयोध्या की मूल निवासी साकेत डिग्री कॉलेज की छात्रा अर्चना तिवारी का कहना है कि उन्हें सबसे पहले उनकी मां से घटनाक्रम का पता चला। चूंकि हम अयोध्या में रहते हैं इसलिए बड़ी संख्या में पुलिस बल देख कर मेरे मन में कई आशंकाएं घर करती थीं। इनका समाधान घर के लोग करते थे। बाद में पता चला कि राम जन्म भूमि प्रकरण को लेकर विवाद चल रहा है। इसके बाद जब और बड़े हुए तो नेट के माध्यम से 6 दिसंबर 1992 की पूरी घटना के बारे में पढ़ा। उनका साफ कहना है कि अयोध्या का विकास और अयोध्या के युवाओं युवतियों का भला तभी होगा जब इस मामले का स्थायी समाधान निकल आएगा।
अयोध्यावासी सुरक्षा व्यवस्था की जकड़ से काफी परेशान गोसाईगंज के निवासी शैलेश पांडे का कहना है कि जब हम लोगों ने होश संभाला तब हमारे बड़े-बुजुर्ग राम जन्म भूमि की चर्चा करते थे। उन्होंने नेट के माध्यम से तमाम फोटो और लेख जुटा लिए हैं और अब उन्हें विवाद की गहराई से जानकारी है। प्र्रतापगढ़ जिले की मूल निवासी आभा तिवारी कहती हैं कि उन्होंने जुलाई 2005 में हुए आतंकी हमले के बाद अयोध्या के बारे में जानकारी मीडिया और अखबारों से हासिल की थी । उम्र बढ़ने साथ नेट के जरिए पूरा विवाद जाना-समझा। इस विवाद का तत्काल स्थायी समाधान निकालना चाहिए।साहिल कुमार का कहना है कि वे जब छोटे थे तब अयोध्या में आतंकी हमला हुआ था। तभी से इस के बारे में घर में सुनते आए हैं। यूट्यूब के जरिए उन्होंने 6 दिसंबर 92 के बारे में काफी कुछ जाना है। (जनसत्ता)