पाकिस्तान में हमेशा से फौजी तानाशाही का चलन नहीं था। इसकी नींव रखी थी इस्कंदर मिर्जा ने। मो. अली जिन्ना से लेकर जनरल अयूब खान के शासन तक मिर्जा ने मनमाफिक तरीके से काम किया। पाकिस्तान के कई पीएम इस दौरान उसका शिकार बने लेकिन आखिर में उसे खुद भी साजिश का ही शिकार होना पड़ा।
जिस अयूब खान को मिर्जा ने जिन्ना के हाथों कोर्ट मार्शल होने से बचाया था, उसी ने मिर्जा को गिरफ्तार किया और देश से निष्कासित करते हुए ब्रिटेन भेज दिया। 12 नवंबर 1969 को लंदन में उनकी मौत हो गई। उसके मृत शरीर को पाकिस्तान ने दफनाने की इजाजत नहीं दी गई। तब मिर्जा के पुराने दोस्त और ईरान के शाह ने हवाई जहाज से उनकी लाश ईरान मंगवाई और वहां राजकीय सम्मान के साथ मिर्जा को दफनाया गया। सारा जीवन दगाबाजी करने वाला मिर्जा आखिर में खुद भी अयूब खान की साजिश का शिकार बना।
इतिहास देखें तो मिर्जा की तासीर का पता खुद ब खुद चल जाता है। मिर्जा उसी मीरजाफर का वंशज था, जिसने 1757 को प्लासी के युद्ध में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के साथ दगा की थी। इस लड़ाई को जीतने के बाद अंग्रेस सिरमौर बनते चले गए। सिराजुद्दौला का सेनापति मीर जाफर भ्रष्ट और लालची था। गद्दारों के विशेषण के तौर पर मीरजाफर कुख्यात है।
पाकिस्तान बना तो जिन्ना ने इस्कंदर मिर्जा को रक्षा सचिव नियुक्त किया। जनरल अयूब खान को मोहम्मद अली जिन्ना पसंद नहीं करते थे। खुद जिन्ना ने उनका कोर्ट मार्शल करने का आदेश दिया था। लेकिन इस्कंदर मिर्जा ने उसे बचा लिया था। अयूब खान को जनवरी 1955 में ही सेना प्रमुख के पद से रिटायर होना था,लेकिन इस्कंदर मिर्जा ने उसका कार्यकाल बढ़वाया। मिर्जा उस समय तक रक्षा सचिव थे। तत्कालीन पीएम मुहम्मद अली बोगरा ने इस्कंदर से कहा था कि वो अयूब पर जरूरत से ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। इसके लिए वो पछताएंगे।
पाकिस्तान के कई प्रधानमंत्रियों को अपना शिकार बनाने के बाद अयूब खान से सांठगांठ करते हुए 7 अक्तूबर 1958 राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने पाकिस्तान में सैनिक शासन लागू कर दिया। इसके साथ ही जनरल अयूब खान को पाकिस्तान सेना का कमांडर इन चीफ और मुख्य सैनिक शासक बनाया गया। 1956 में लागू हुआ संविधान भी रद्द कर दिया गया। यह तय हुआ कि मिर्जा राष्ट्रपति बने रहेंगे और अयूब सेना और बाकी व्यवस्थाएं संभालेंगे।
मिर्जा का ये ही फैसला उनके खुद के लिए आत्मघाती हुआ। अयूब ने उन्हें देश से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। मिर्जा के पूर्वज मीरजाफऱ ने जो कुछ अपने नवाब के साथ किया था। काफी कुछ वैसा ही अयूब खान ने उनके साथ कर दिया। ऐन मौके पर दगा दे उन्हें देश से ही रुखसत कर दिया।