कोरोना से भारत में हो रही मौतों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। सरकार का जो आंकड़ा है उसे लगातार गलत ठहराया जा रहा है। शमशान घाटों और नदियों की तस्वीर देखी जाए तो सरकार का डेटा गलत ही लगता है, लेकिन इस मामले में पीएम मोदी की तब और ज्यादा किरकिरी हो गई जब अमेरिका के न्यूयार्क टाइम्स जैसे अखबार कोरोना मौतों के सरकारी आंकड़े को गलत ठहरा दिया।
न्यूयार्क टाइम्स की 25 मई को प्रकाशित खबर, ‘Just How Big Could India’s True Covid Toll Be?‘में बताया गया है कि जो आंकड़ा सरकार दे रही है वो हकीकत से बहुत ज्यादा परे है। सरकार का डेटा कहता है कि कोविड से भारत में मरने वाले लोगों की तादाद 3.07 लाख है। जबकि न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक ये आंकड़ा 14 गुना ज्यादा है। यानि भारत में अभी 42 लाख लोग संक्रमण से मौत के मुंह में समा चुके हैं। अखबार का दावा है कि उसने ये आंकड़ा तीन नेशनल सीरो सर्वे के अध्ययन के अलावा दर्जन भर एक्सपर्ट की राय पर तैयार किया है।
अखबार का कहना है कि भारत में न तो टेस्टिंग ठीक तरीके से हो रही है और न ही मरीजों या मौत का रिकॉर्ड तरीके से रखा जा रहा है। ऐसे में सही आंकड़े का अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन जो तस्वीर दिख रही है उसमें अस्पताल पूरी तरह से भरे हुए हैं। कोरोना के बहुत से मरीज घर पर ही दम तोड़ रहे हैं। गांवों में होने वाली मौतें भी सरकारी रिकॉर्ड में शामिल नहीं हो रही हैं। जिनम लैब में कोविड मरीजों की मौत के कारणों की जांच हो सकती थी वो ठप पड़ी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सामान्य दिनों में भी पांच में से चार मौतों के कारणों की जांच ही नहीं की जाती। मौजूदा हालात पर अखबार का कहना है कि जो स्टडी की गई उसे देखकर लगता है कि आधा भारत कोरोना वायरस की चपेट में है, लेकिन सरकार इस तथ्य से मुंह चुरा रही है। जिससे हालात और ज्यादा बिगड़ते जा रहे हैं।
अखबार के मुताबिक जो सीरो सर्वे कराए गए उनमें पहला बीते साल 11 मई और 4 जून के बीच किया गया। इसमें देखा गया कि 64.60 लाख लोगों में एंटीबॉडीज थे। दूसरा सर्वे 18 अगस्त और 20 सितंबर के बीच जबकि तीसरा 18 दिसंबर और 6 जनवरी के बीच कराया था।