हाल में भारत सरकार ने कई मोबाइल ऐप प्रतिबंधित किए। गेमिंग (खेल) ऐप से लेकर मित्रता-मुलाकात (डेटिंग), कारोबार और कई अन्य तरह के ऐप शामिल हैं। लेकिन चर्चा चीनी कंपनी के आनलाइन खेल ऐप पबजी पर प्रतिबंध की हो रही है। पबजी का स्वामित्व चीनी कंपनी टेनसेंट के पास है। भारत में पबजी की राजस्व हिस्सेदारी पांच फीसद से भी कम है। लेकिन पबजी पर प्रतिबंध लगाने से कंपनी को तगड़ा झटका लगा है। एक बड़ा बाजार कंपनी के हाथ से फिसला ही है, उसकी अंतरराष्ट्रीय साख को भी झटका लगा है।
पबजी के प्रतिबंधित होने से टेनसेंट को बड़ा झटका लगा है। टेनसेंट का बाजार पूंजीकरण (बाजार हैसियत) 2.48 लाख करोड़ रुपए कम हो गया, जो इस साल की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उसके एप वीचैट पर प्रतिबंध लगाया था, तब कंपनी को 4.81 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। प्रतिबंध के बाद पबजी मोबाइल पर तो नहीं खेल सकते, लेकिन कंप्यूटर के डेस्कटॉप का वर्जन अब भी काम कर रहा है।
दुनिया की बात करें तो 2019 में कंप्यूटर खेल (गेमिंग) का बाजार 16.9 अरब डॉलर का है। इसमें 4.2 अरब डॉलर की हिस्सेदारी के साथ चीन सबसे आगे है। दूसरे नंबर पर अमेरिका, तीसरे नंबर पर जापान और फिर ब्रिटेन और दक्षिण कोरिया का नंबर आता है। भारत में इस उद्योग का विस्तार तेजी से हो रहा है, लेकिन अब भी ये एक अरब डॉलर से भी कम का है। भारत रेवेन्यू के मामले में गेमिंग के शीर्ष पांच देशों में नहीं है। लेकिन उभरता हुआ बाजार जरूर है।
भारत में रूटर्स नामक कंपनी आनलाइन गेमिंग के स्ट्रीमिंग पर नजर रखती है। इस कंपनी के आंकड़े हैं कि पबजी के सिर्फ भारत में 175 मिलियन डाउनलोड्स रहे हैं। इनमें से सक्रिय उपयोक्ता (एक्टिव यूजर) 75 मिलियन के आसपास हैं। चीन से ज्यादा लोग भारत में पबजी खेलते रहे हैं। लेकिन भारत में कमाई कम रही है, क्योंकि पैसा खर्च कर गेम खेलने वालों की तादाद भारत में कम है।
दरअसल, भारत में आनलाइन गेम खेलने वालों की तादाद दुनिया के दूसरे बड़े देशों के मुकाबले ज्यादा है, इसलिए भविष्य में भारत को गेमिंग हब के तौर पर देखा जा रहा है। अगर किसी कंपनी को भारत के बाजार से बाहर निकलना पड़ेगा, तो उस पर असर उसके उपयोक्ताओं की संख्या पर जरूर पड़ेगा। भारत में 14 साल से लेकर 24 साल के बच्चे और युवा आनलाइन गेम को सबसे ज्यादा खेलते हैं। लेकिन 25 से 35 साल वाले आॅनलाइन गेमिंग पर पैसा खर्च ज्यादा करते हैं। रूटर्स के मुताबिक, पबजी पर प्रतिबंध के बाद ‘फ्री फायर’ और ‘कॉल आॅफ ड्यूटी’ खेलने वालों की तादाद ज्यादा हो गई है।
फ्री फायर सिंगापुर की कंपनी ने बनाया है और भारत में इसे खेलने वालों की संख्या अभी पांच करोड़ के आसपास है और कॉल आॅफ ड्यूटी के उपयोक्ता लगभग डेढ़ करोड़ के आसपास हैं। भारत में हर तरह के मोबाइल और आॅनलाइन गेम खेलने और देखने वालों की संख्या लगभग 30 करोड़ है, जो पूर्णबंदी में बढ़ती जा रही है। कुछ भारतीय खेल भी हैं, जो मशहूर हैं- जैसे बबल शूटर, मिनीजॉय लाइट, गार्डन स्केप, कैंडी क्रश।
पूर्णबंदी से पहले आॅनलाइन गेमिंग के उपभोक्ता 13 से 15 मिलियन होते थे, जो अब बढ़कर 50 मिलियन हो गए हैं। फेडरेशन आॅफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स एवं अंतरराष्ट्रीय सलाहकार कंपनी केपीएमजी की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय फैंटेसी खेल कारोबार अब नौ करोड़ उपयोक्ताओं का हो गया है। इसमें से 20 फीसद लोग फेंटेसी गेम खेलने के लिए पैसे भी खर्च करते हैं और एक तिहाई लोग एक से अधिक प्लेटफार्म पर खेलते हैं।
चार सौ से ज्यादा स्टार्ट-अप
भारत का घरेलू आॅनलाइन गेमिंग उद्योग 2016 में अनुमानित 29 करोड़ डॉलर का था। एक अनुमान के मुताबिक यह उद्योग 2021 तक 100 करोड़ डॉलर होने की संभावना है और 2024 तक इसका मूल्य 370 करोड़ डॉलर होने का अनुमान है। भारत में लगभग चार सौ से ज्यादा गेमिंग स्टार्ट-अप वर्तमान में कार्यरत हैं।
