केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि पठानकोट आतंकवादी हमले के दौरान प्रसारण नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर एनडीटीवी ने माफी नहीं मांगी है बल्कि उसने बस एक नोट भेजा है जो अस्वीकार्य है। एनडीटीवी ग्रुप नौ नवंबर को पाबंदी लगाये जाने पर सुप्रीम कोर्ट में चला गया था । उसके बाद केंद्र ने इस पाबंदी पर स्थगन लगा दिया था।
सॉलीसीटर जनरल रणजीत कुमार ने न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भान की पीठ से कहा कि इस टीवी चैनल के नोट में स्पष्ट शब्दों में माफी नहीं मांगी गयी है अतएव उसे मंजूर नहीं किया जा सकता। एनडीटीवी के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि चैनल अपनी याचिका पर सुनवाई चाहेगा। कुमार भी चैनल की याचिका पर सुनवाई पर सहमत हो गए। चैनल ने पिछले साल नवंबर में एक दिन के लिए प्रसारण बंद करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी है। पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख तीन हफ्ते के बाद तय की।
हालांकि बाद में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से एनडीटीवी इंडिया पर लगाया गया एक दिन का बैन हटा दिया गया था। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह फैसला लिया है। बता दें कि एनडीटीवी इंडिया को ठानकोट कवरेज के दौरान संवेदनशल जानकारी प्रसारित करने के लिए नौ नवंबर को ऑफ एयर रहने का आदेश दिया गया था। इस पर काफी विवाद हुआ था। इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हिंदी चैनल एनडीटीवी इंडिया के खिलाफ जारी आदेश को रोक दिया था। इसके बाद 9 नवंबर के ब्लैक आउट आदेश को होल्ड पर रखा गया था। इससे पहले चैनल ने बैन के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
एनडीटीवी इंडिया चैनल ने इस साल जनवरी में पठानकोट एयर बेस पर हुए आतंकी हमले की कवरेज में संवेदनशील जानकारी लीक की थी। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंच सकता था और आम लोगों और सुरक्षाकर्मियों की जान को खतरा पहुंच सकता था क्योंकि आतंकी भी लगातार टीवी चैनलों के संपर्क में थे। चैनल ने पठानकोट हमले के दौरान एयरबेस में रखे गोला-बारूद, एमआईजी फाइटर विमान, रॉकेट लॉन्चर, मोर्टार, हेलीकॉप्टर्स उनके फ्यूल टैंक के बारे में जानाकरी साझा की थी। ये सूचनाएं पाकर आतंकी या उनके आका हमारे सुरक्षा ठिकानों को और अदिक नुकसान पहुंचा सकते थे।