उत्तराखंड में कोरोना के डर ने मैदान से लेकर पहाड़ तक सब जगह जनजीवन ठप कर दिया है। मानों जिंदगी ठहर सी गई है। कोरोना का डर और पुलिस की सख्ती ने लोगों को घरों में दुबके रहने के लिए विवश कर दिया है। उत्तराखंड में बसों और कारों के पहिए ठहर से गए हैं। जहां राज्य के मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर में बाजारों और होटलों में देर रात तक चहलकदमी होती थी, वहीं अब भरी दोपहरी में ही सन्नाटा छाया हुआ है। वहीं राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों नैनीताल, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, चम्पावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, मसूरी, रानीखेत में आम दिनों में शाम जिंदगी ठहर सी जाती थी, अब सुबह से शाम तक लोग घरों से बाहर ही नहीं निकल रहे हैं।
उत्तरकाशी के समाज सेवी राजेंद्र प्रसाद भट्ट का कहना है कि 20 अक्तूबर 1991 में उत्तरकाशी में आए भीषण भूकम्प की दहशत भी कोराना वायरस के दहशत के आगे नही ठहरती है। जिस भूकम्प में सैंकड़ों लोगों की जानें चली गई थी और दर्जनों गांवों में मकान मलबे में तब्दील हो गए थे। पहाड़ों में उस भूकम्प की इतनी ज्यादा दहशत नहीं थी, जितनी कोरोना वायरस की है। उस समय तो हम लोगों की जान बचाने के लिए और काम करने के लिए घरों से बाहर निकल जाते थे, परंतु आज कोरोना वायरस के डर से घरों में दुबके हुए हैं।
सभी धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं पर लगी रोग
हरिद्वार के मंसादेवी, चंड़ी देवी, दक्षेश्वर महादेव, बिल्केश्वर महादेव, निलेश्वर महादेव, गौरी शंकर महादेव, दरिद्रभंजन, दुखभंजन महादेव, भारत माता मंदिर समेत सभी मंदिर और आश्रम, होटल, धर्मशालाएं, मॉल बंद कर दिए गए हैं। वहीं ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन आश्रम, वीरभद्र महादेव मंदिर, स्वर्गाश्रम, देहरादून में टपकेश्वर महादेव मंदिर, उत्तरकाशी में विश्वनाथ महादेव मंदिर, कुमाऊं में जागेश्वर महादेव मंदिर, श्रीनगर गढ़वाल में धारीदेवी मंदिर, पौड़ी गढ़वाल के कोटलार का सिद्धबली मंदिर समेत उत्तराखंड के पवर्तीय क्षेत्रों के पौराणिक मंदिर और आश्रम तीथर्यात्रियों और स्थानीय लोगों के दर्शन के लिए बंद कर दिए गए हैं। जिससे इन मंदिरों और आश्रमों की आमदनी बिल्कुल ठप हो गई है।
सब्जियों और खाद्य पदार्थों के दाम आसमान पर
राज्य में अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल हैं। स्थानीय लोगों के लिए आवश्यक सेवाओं सब्जी, दूध, राशन और दवाइयां व बैंकों और पैट्रोल पंपों को खोलने की समय सीमा सुबह 7 बजे से लेकर 10 बजे तक तीन घंटे की रखी गई है। वहीं राज्य में सेनेटाईजर और मास्क बहुत ऊंचे दामों पर मिल रहे हैं। फलों, सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं।
हरकी पैड़ी गंगा आरती देखने वाले श्रद्धालुओं पर लगी रोक
हरिद्वार में हरकी पैड़ी पूरी तरह सील कर दी गई है और हरकी पैड़ी पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखने वाले श्रद्धालुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिस कारण दूसरे राज्यों से गंगा में अस्थि विसर्जन के लिए आने वाले लोगों पर भी रोक लगा दी गई है। गंगा सभा के अध्यक्ष पंडित प्रदीप झा ने बताया कि हरकी पैड़ी पर केवल गंगासभा के चुनिंदा पुजारी ही शाम में आरती करते हैं। उन्होंने कहा कि 103 साल के गंगा सभा के इतिहास में पहली बार किसी महामारी के कारण गंगा आरती देखने वाले श्रद्धालुओं पर पाबंदी लगाई गई है। हरिलार के गंगा घाट सूने पड़े हैं। गंगा घाटों पर न तो पंडे दिखाई दे रहे हैं और न ही तीर्थयात्री।

