अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के रुख में नरमी के संकेत मिले हैं। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर से बेंगलुरु में मुलाकात के बाद बोर्ड के एग्जीक्यूटिव मेंबर मौलाना सैय्यद सलमान हुसैनी नदवी ने कहा कि इस्लाम में दूसरी जगह पर मस्जिद बनाने का प्रावधान है। नदवी के इस बयान को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की दिशा में सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। श्री श्री से मुलाकात के बाद नदवी ने कहा, ‘हमलोगों ने खास तौर पर राम मंदिर और बाबरी मस्जिद से जुड़े मसलों पर चर्चा के लिए बैठक की, ताकि कोई समाधान निकाला जा सके। इससे पूरे देश में संदेश भी जाएगा। हमारी प्राथमिकता लोगों के दिलों में बसना है। कोर्ट का फैसला संवैधानिक कदम होगा, लेकिन कोर्ट लोगों का दिल नहीं जीत सकता है। फैसला किसी एक के पक्ष में तो दूसरे के खिलाफ आएगा। हम चाहते हैं कि दोनों पक्ष खुशी-खुशी कोर्ट से बाहर आएं।’ श्री श्री रविशंकर और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधियों के बीच ऐसे समय मुलाकात हुई है, जब सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि कोर्ट के लिए यह मसला सिर्फ भूमि पर अधिकार से जुड़ा है।
We held meeting so that all issues around the matter especially that of Ram Temple & Babri Masjid are discussed & we look for a solution which sends message across the nation. Our priority is to join hearts of people: Salman Nadwi, AIMPLB on his meeting with Sri Sri Ravi Shankar pic.twitter.com/rScLLqjadj
— ANI (@ANI) February 9, 2018
When Court's verdict comes, it'll be constitutional move but Court doesn't join people's hearts. Decision is always in favor of one & against the other. We want that when both parties come out of Court they must be happy: Salman Nadwi, AIMPLB on meeting with Sri Sri Ravi Shankar pic.twitter.com/ZD1rJNCW6Q
— ANI (@ANI) February 9, 2018
बता दें कि श्री श्री रविशंकर ने पूर्व में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थता की बात कही थी। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और रविशंकर के बीच अगली बैठक अब मार्च में अयोध्या में होगी। रविशंकर ने मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से गुरुवार (8 फरवरी) को मुलाकात की थी। इसमें नदवी के अलावा उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी, पूर्व आईएएस अधिकारी अनीस अंसारी, वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान अहमद, तीली वाली मस्जिद के मौलाना वासिफ हसन वैजी और ऑब्जेक्टिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट के निदेशक अतहर हुसैन शामिल थे। इसके अलावा शिया समुदाय के प्रतिनिधियों ने भी इसमें हिस्सा लिया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने का फैसला दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को दो सप्ताह के अंदर सभी दस्तावेज अंग्रेजी में कोर्ट में पेश करने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी।