श्रीनगर के पास जकुरा में एसएसबी के काफिले पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन अल उमर मुजाहिदीन ने ली है। ये संगठन कंधार कांड के बाद छोड़े गए तीन आतंकियों में से एक मुश्ताक अहमद जरगर का है। अचानक 17 साल बाद आतंकी जरगर की आहट घाटी में सुने जाने से सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं। शुक्रवार की शाम जब एसएसबी के जवान ड्यूटी से लौट रहे थे तभी आतंकियों ने उनके काफिले को निशाना बनाया था। इस हमले में घनश्याम नाम का एक जवान शहीद हो गया जबकि 8 जवान घायल हो गए। शनिवार को श्रीनगर में एसएसबी की डीजी अर्चना रामसुंदरम ने शहीद जवान को श्रद्धांजलि दी है। हमले के बाद जवानों ने जवाबी कार्रवाई की लेकिन आम लोगों की मौजूदगी का फायदा उठाकर आतंकी भागने में कामयाब रहे। सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके में आतंकियों की खोजबीन शुरू कर दी है।
इस हमले की जिम्मेदारी अल उमर मुजाहिदीन नाम के आतंकी संगठन ने ली है। उसका सरगना है मुश्ताक जरगर है। यह वही जरगर है जिसे 1999 के कंधार विमान हाईजैक के बाद छोड़ा गया था। इसमें तीन आतंकियों को छोड़ा गया था। 15 साल तक छुपने के बाद जरगर फिर दहशत फैलाने आया है।
वीडियो देखिए: तीन दिन तक चली पंपोर में मुठभेड़
इससे पहले इसी हफ्ते जम्मू कश्मीर के पंपोर में सुरक्षा बलों और एंटरप्रेन्योर डिवेलपमेंट इंस्टीट्यूट (ईडीआई) इमारत में छुपे आतंकियों के बीच मुठभेड़ 60 घंटे तक चली थी। इसमें दो आतंकी मारे गए थे। 60 घंटे तक चले अभियान में यह बहुमंजिली इमारत खंडहर में तब्दील हो गई थी, क्योंकि इसकी अधिकतर दीवारें गिर चुकी थीं।
गौरतलब है कि साल 1999 में काठमांडू से नई दिल्ली आनेवाली इंडियन एयरलाइंस एयरबस ए300 का सशस्त्र आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। अमृतसर, लाहौर और दुबई की धरती को छूने के बाद अपहरणकर्ताओं ने विमान को अफगानिस्तान के कंधार में उतरने के लिए मजबूर किया। अपहर्ताओं ने 176 यात्रियों में से 27 को दुबई में छोड़ दिया लेकिन एक को बुरी तरह चाकू से मारा और कई अन्य को घायल कर दिया था। अफगानिस्तान में तालिबान-हुकूमत के बारे में भारत की कम जानकारी ने भारतीय अधिकारियों और अपहर्ताओं के बीच वार्ताओं को मुश्किल बना दिया। अपहरण का यह सिलसिला सात दिनों तक चला और भारत द्वारा तीन आतंकवादियों – मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख (जिसे बाद में डैनियल पर्ल की हत्या के लिए गिरफ्तार कर लिया गया) और मौलाना मसूद अजहर (जिसने बाद में जैश-ए-मुहम्मद की स्थापना की) को रिहा करने के बाद समाप्त हुआ था।
