भारतीय सेना, एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों की तमाम कोशिशों के बावजूद, एसएलबीसी परियोजना में सुरंग के अंदर 30 घंटे से अधिक समय से फंसे आठ लोगों को निकालने के बचाव अभियान में रविवार को कोई सफलता नहीं मिली। तेलंगाना में श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना (एसएलबीसी) के निर्माणाधीन खंड की छत का एक हिस्सा ढह जाने से कर्मी अंदर फंस गए हैं।
वेल्डर संजय शाह ने श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग के अंदर फंसे आठ लोगों के बारे में इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमारी तरह ही उन्होंने भी यह जानते हुए भी यह काम चुना कि यह खतरनाक काम है क्योंकि इससे होने वाली आय से उनके परिवार का गुजारा होता है। हम अक्सर पानी के लीकेज की छोटी-मोटी घटनाओं के बारे में बात करते हैं। मजबूरी है, काम तो करना ही पड़ता है।”
शाह उन 50 लोगों में शामिल थे जो शनिवार सुबह 7 बजे सुरंग में गए थे। कुछ समय बाद, सुरंग की छत का एक हिस्सा 13.5 किलोमीटर अंदर गिर गया। शाह और 41 अन्य लोग सुरक्षित बचने के लिए भागे, लेकिन सुरंग से बाहर निकलने के बाद ही उन्हें पता चला कि आठ लोग बाहर नहीं निकल पाए हैं।
रात की शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों ने हमें सुरंग में पानी के रिसाव के बारे में बताया था- वेल्डर
वेल्डर ने कहा, “रात की शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारियों ने हमें सुरंग में पानी के रिसाव के बारे में बताया था लेकिन ऐसा कई बार हुआ है और हम सावधानी बरतते हुए अंदर गए।” शाह के अनुसार, “वे सुरंग में 13 किलोमीटर से ज़्यादा पैदल चले, जिसमें लगभग एक घंटा लगा। हमारे वहां पहुंचने के 15-20 मिनट बाद ही मिट्टी के टुकड़े गिरने लगे। मैं वहां से सिर्फ़ 20 मीटर दूर था। शिफ्ट इंचार्ज ने हमें वहां से हटने को कहा और अलार्म बज गया। हम बस भागे। कुछ ही मिनटों में एक तेज़ आवाज़ हुई और सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। जब हम बाहर आए और उपस्थिति रजिस्टर की जाँच की, तभी हमें पता चला कि आठ लोग बाहर नहीं निकल पाए थे।”
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सिल्कयारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले रैट माइनर्स की टीम पहुंची
वहीं, दूसरी ओर तेलंगाना के मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने सोमवार को कहा कि दो दिन पहले श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग के निर्माणाधीन खंड के आंशिक रूप से ढहने के बाद उसमें फंस गए आठ लोगों के बचने की संभावना अब बहुत कम है, हालांकि उन तक पहुंचने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 2023 में उत्तराखंड में ‘सिल्कयारा बेंड-बरकोट’ सुरंग में फंसे निर्माण श्रमिकों को बचाने वाले ‘‘रैट माइनर्स’’ (हाथ से पर्वतीय क्षेत्रों की खुदाई करने में महारत रखने वाले व्यक्ति) की एक टीम लोगों को निकालने के लिए बचाव दल में शामिल हो गई है।
मंत्री ने कहा कि फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है जिससे बचाव दल के लिए यह एक मुश्किल काम बन गया है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो उनके बचने की संभावना बहुत, बहुत, बहुत, बहुत कम है क्योंकि मैं खुद उस आखिर छोर तक गया था जो दुर्घटना स्थल से लगभग 50 मीटर दूर था। जब हमने तस्वीरें लीं तो सुरंग का अंत दिखाई दे रहा था और नौ मीटर के व्यास वाली सुरंग में लगभग 30 फुट में से 25 फुट तक कीचड़ जमा हो गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब हमने उनके नाम पुकारे, तो कोई जवाब नहीं मिला इसलिए उनके बचने की कोई संभावना नहीं दिखती है।’’
बचाव अभियान में 300 कर्मचारी शामिल
फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने के लिए बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है। इसमें करीब 300 प्रशिक्षित कर्मचारी शामिल हैं, जिनमें राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के 128, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के 120, सिंगरेनी कोलियरीज के 23 और सेना के 24 कर्मचारी शामिल हैं। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स