तेलंगाना के नगरकुरनूल में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) के निर्माणाधीन खंड का कुछ हिस्सा ढहने के बाद पिछले 6 दिनों से सुरंग में फंसे आठ लोगों को निकालने के अभियान में जुटी बचाव टीम में अब दक्षिण मध्य रेलवे भी शामिल हो गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि दक्षिण मध्य रेलवे ने बचाव अभियान के लिए आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध कराए हैं।
दक्षिण मध्य रेलवे (SCR) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ए. श्रीधर ने बताया कि रेलवे के पास ‘प्लाज्मा कटर’ और ‘ब्रोको कटिंग मशीन’ जैसे उपकरणों का उपयोग करके भारी धातुओं को काटने की विशेषज्ञता है। ए. श्रीधर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘नगरकुरनूल के जिलाधिकारी ने बचाव कार्यों में बाधा डाल रहे लोहे और स्टील के मलबे को हटाकर बचाव अभियान में दक्षिण मध्य रेलवे की मदद मांगी है।’’
दक्षिण मध्य रेलवे ने भेजी कटिंग मशीन
अधिकारी ने कहा कि एससीआर ने मदद मांगे जाने पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और बचाव अभियान में मेटल काटने के विशेषज्ञों की दो टीम को तैनात किया। डिवीजनल मैकेनिकल इंजीनियर एस. मुरली के नेतृत्व में पहला बैच घटना स्थल पर पहुंच गया है और आवश्यक कार्य शुरू कर दिए गए हैं। इसमें एक वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर, 13 वेल्डर और सिकंदराबाद के दो तकनीशियन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कल रात पहली टीम की मदद के लिए विशेषज्ञों का दूसरा बैच भी घटना स्थल पर पहुंच गया।
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तेलंगाना सुरंग: मेटल काटने और मलबा साफ करने की प्रक्रिया जारी
इस बीच, नगरकुरनूल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) वैभव गायकवाड़ ने कहा कि धातु काटने और मलबा साफ करने की प्रक्रिया लगातार जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘एक टीम सुबह सात बजे सुरंग में गई। कल सुबह से ही मलबा साफ करने का काम जारी है। पानी निकालने का काम भी जारी है।’’
सुरंग के अंदर फंसी टनल बोरिंग मशीन को गैस कटर से काटा जाएगा
इससे पहले तेलंगाना के सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने गुरुवार को कहा था कि बचाव और राहत अभियान जोरों पर है और यह अभियान दो दिनों में पूरा हो जाएगा। मंत्री ने बुधवार को कहा था कि अंदर फंसी टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) को गैस कटर का इस्तेमाल करके टुकड़ों में काटकर निकाला जाएगा। इसके बाद सेना, नौसेना, ‘रैट माइनर्स’ (हाथ से पर्वतीय क्षेत्र में खुदाई में महारत रखने वाले विशेषज्ञ व्यक्ति) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम अपनी सुरक्षा से समझौता किए बिना लापता आठ लोगों को बचाने के लिए एक और गंभीर प्रयास करेंगी।
बचाव दल सुरंग के 13.85 किमी में से 13.79 किमी को कवर करने में कामयाब
बचाव दल सुरंग के बड़े हिस्से 13.85 किमी में से 13.79 किमी को कवर करने में कामयाब रहे हैं लेकिन अंतिम भाग चुनौतीपूर्ण रहा है क्योंकि ढहने वाले स्थान पर पानी और कीचड़ का मिश्रण है। ऐसे में कैमरा लगे ड्रोन, सोनार और पोर्टेबल कैमरा रोबोट जैसे उपकरणों की मदद ली जा रही है जो तंग जगहों में उड़ान भरने में सक्षम हैं।
ड्रोन, सोनार और रोबोट… तेलंगाना की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने में जुटी 11 एजेंसियां
रेस्क्यू ऑपरेशन में 11 राष्ट्रीय और राज्य एजेंसियां लगी हुई
इस अभियान में अब 11 राष्ट्रीय और राज्य एजेंसियां लगी हुई हैं। इनमें सेना, नौसेना, मार्कोस कमांडो, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, MORPH, सिंगरेनी, HYDRAA, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, नवयुग और एलएंडटी सुरंग विशेषज्ञ और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) शामिल हैं। सिल्क्यारा टनल में फंसे लोगों को निकालने में मदद करने वाली रैट माइनर्स की टीम भी बचाव दल में शामिल है।
एसएलबीसी सुरंग में फंसे 8 मजदूर
एसएलबीसी सुरंग परियोजना पर काम कर रहे आठ कर्मचारी 22 फरवरी को सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद फंस गए थे। फंसे हुए लोगों की पहचान मनोज कुमार (उत्तर प्रदेश), श्री निवास (उत्तर प्रदेश), सनी सिंह (जम्मू कश्मीर), गुरप्रीत सिंह (पंजाब) और संदीप साहू, जेगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू (सभी झारखंड से) के रूप में हुई है। आठ में से दो इंजीनियर हैं, दो ऑपरेटर हैं और बाकी चार झारखंड के मजदूर हैं। दो इंजीनियर और चार मजदूर एसएलबीसी सुरंग परियोजना का ठेका पाने वाली ‘जयप्रकाश एसोसिएट्स’ के कर्मचारी हैं। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स
(भाषा के इनपुट के साथ)