तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में शनिवार की सुबह श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) परियोजना की सुरंग का एक हिस्सा ढहने के बाद से वहां फंसे आठ लोगों के बचने की संभावना अब कम ही दिखाई दे रही है। हालांकि इन कर्मियों तक पहुंचने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। भारतीय सेना, नौसेना, एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद बचाव अभियान में अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। वहीं, 2023 में उत्तराखंड में ‘सिल्कयारा बेंड-बरकोट’ सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले ‘रैट माइनर्स’ की एक टीम भी बचाव दल में शामिल हो गई है।

तेलंगाना की सुरंग के 13.5 किलोमीटर अंदर छत का एक हिस्सा गिरने से शनिवार सुबह से फंसे आठ लोगों की पहचान उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार और श्री निवास, झारखंड के संदीप साहू, जगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू, जम्मू -कश्मीर के सनी सिंह और पंजाब के गुरप्रीत सिंह के रूप में हुई है।

शनिवार से कोई कॉल नहीं आई है- फंसे मजदूर की पत्नी

पंजाब के तरनतारन जिले के चीमा कलां गांव में गुरप्रीत सिंह की मां दर्शन कौर और पत्नी राजविंदर कौर चिंता में डूबी हुई हैं और अपना समय प्रार्थना में बिता रही हैं। राजविंदर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके पति पिछले 20 सालों से तेलंगाना में मशीन ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया, “मेरे पिता के निधन के बाद वे करीब 20 दिन पहले घर आए थे और पांच-सात दिन बाद चले गए।” आखिरी बार उन्होंने अपने पति से शनिवार को बात की थी, जब वे काम पर गए थे। उन्होंने कहा, “मैं अपने फोन को देखती रहती हूं, उम्मीद करती हूं कि यह फिर बजेगा और वह दूसरी तरफ होगा।”

हर सुबह गुरप्रीत वीडियो कॉल के ज़रिए उन्हें और उनके बच्चों को जगाते थे। राजविंदर ने बताया, “मेरी बेटियां तब तक नहीं उठती थीं जब तक उन्हें अपने पिता की आवाज़ नहीं सुनाई देती लेकिन शनिवार से उन्हें जगाने के लिए कोई कॉल नहीं आई है।”

तेलंगाना सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, सिल्कयारा में फंसे श्रमिकों को बचाने वाली टीम भी पहुंची

शनिवार से ही परिवार टीवी से चिपका हुआ है। राजविंदर ने कहा, “हमें उम्मीद है कि वाहेगुरु कोई चमत्कार करेंगे। हम टीवी पर सभी बुरी खबरें सुनते हैं, लेकिन हमारा दिल उन पर विश्वास करने से इनकार कर देता है। हमें अभी भी उम्मीद है।” तरनतारन के डिप्टी कमिश्नर राहुल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “अभी तक परिवार ने हमसे संपर्क नहीं किया है, लेकिन हमें घटना की जानकारी है। अभी तक हमें गुरप्रीत के बारे में तेलंगाना सरकार से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।”

झारखंड के तीन मजदूर फंसे हैं सुरंग के अंदर

झारखंड के गुमला जिले के बाघिमा गांव का एक और परिवार भी सुरंग में फंसे आठ लोगों में से एक है। गांव के संदीप साहू (27) तीन भाइयों और एक बहन में सबसे बड़े हैं और परिवार का एकमात्र कमाने वाला हैं।

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झारखंड के गुमला जिले के एक अन्य श्रमिक 37 वर्षीय संतोष साहू भी सुरंग में फंसे लोगों में शामिल हैं। उनकी पत्नी और तीन बच्चे उनके पैतृक गांव तिर्रा में रहते हैं। उसके रूममेट अजय कुमार ने कहा, “वह परिवार में सबसे बड़ा है और कमाने वाला अकेला व्यक्ति है। उसके दो भाई हैं, जिन्होंने अभी तक काम करना शुरू नहीं किया है। मुझे नहीं पता कि संतोष की पत्नी और पिता जब बचाव प्रयासों के बारे में पूछने के लिए फोन करेंगे तो मैं उन्हें क्या बताऊँ।”

गुमला जिले के ही अनुज साहू फंसे हुए लोगों में सबसे कम उम्र के हैं। खमिया गांव के 24 वर्षीय अनुज के दोस्तों ने बताया कि वह तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं और उनका परिवार उनकी आय पर निर्भर है। उनके दो छोटे भाई अभी भी पढ़ाई कर रहे हैं।

रेस्क्यू टीम ने सात बार तेलंगाना सुरंग का निरीक्षण किया

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सेना, नौसेना, सिंगरेनी कोलियरीज और अन्य एजेंसियों के 584 कुशल कर्मियों की एक टीम ने केंद्रीय और राज्य आपदा मोचन टीम के साथ मिलकर सात बार सुरंग का निरीक्षण किया है। उन्होंने कहा कि धातु की छड़ को काटने के लिए गैस कटर लगातार काम कर रहे हैं। सुरंग के अंदर लोगों का पता लगाने के लिए सर्च डॉग्स को भी लाया गया लेकिन पानी की मौजूदगी के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाए। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स