एक नए अध्ययन में सोमवार को बताया गया कि इसमें कृत्रिम मेधा (एआइ), मशीन लर्निंग और डेटा खंड शीर्ष पर रहेंगे। विश्व आर्थिक मंच (डब्लूईएफ) ने अपनी ताजा ‘रोजगार का भविष्य’ रपट में कहा कि वैश्विक स्तर पर रोजगार बदलने की दर (चर्न) 23 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसमें 6.9 करोड़ नए रोजगार के मौके तैयार होने की उम्मीद है, जबकि 8.3 करोड़ नौकरियां समाप्त होंगीं। डब्लूईएफ ने कहा, ‘लगभग एक चौथाई नौकरियां (23 फीसद) अगले पांच वर्षों में बदलेंगी।’ रिपोर्ट के लिए 803 कंपनियों के बीच सर्वेक्षण किया गया।

डब्लूईएफ ने कहा, वैश्विक स्तर पर नौकरियों में 12.3 फीसद की कमी होगी, जबकि विकास दर 10.2 फीसद रहेगी। अनुमान है कि 690 लाख नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे, जबकि 830 नौकरियां कम हो जाएंगी। दुनिया में 6730 नौकरियां हैं। जहां तक भारत का सवाल है, यहां पर्यावरण, सामाजिक और शासन के क्षेत्र में नौकरियों के मौके बढ़ेंगे। 61 फीसद नौकरियां इन क्षेत्रों में मिलेंगी। नई तकनीक से जुड़े क्षेत्रों में 59 फीसद नौकरियां होंगी और डिजिटल क्षेत्र 55 फीसद नौकरियां देगा।

भारत में कृत्रिम मेधा से उद्योग जगत में बदलाव आएगा। मशीन लर्निंग, डेटा एनालिस्ट और वैज्ञानिकों की मांग बढ़ेगी। निर्माण उद्योग एवं तेल व गैस क्षेत्रों में हरित कौशल विकास होगा। भारत, अमेरिका और फिनलैंड में तेल-गैस क्षेत्र में नौकरियां बढ़ेंगी।भारत और चीन से लोगों को ज्यादा नौकरियां मिलेंगी।

नौकरियों की मांग अप्रैल में पांच फीसद घट

इस साल अप्रैल में दफ्तरों में बैठकर नौकरी करने वालों की मांग पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले पांच फीसद घटी है और इस श्रेणी के रोजगार के लिए 2,715 विज्ञापन आए। इसका प्रमुख कारण सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नियुक्तियां कम होना है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। नौकरी जाब स्पीक इंडेक्स के अनुसार, नौकरी डाट काम पर अप्रैल, 2022 में ऐसी नौकरियों के लिए 2,863 विज्ञापन आए थे।

रपट में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) क्षेत्र में नियुक्तियों में जो कमी आई है, उसकी कुछ भरपाई रियल एस्टेट और बैंक, वित्तीय सेवाएं तथा बीमा क्षेत्र (बीएफएसआइ) ने की। नौकरी जाब इंडेक्स मासिक सूचकांक है जो देश में रोजगार बाजार की स्थिति को बताता है। नियुक्ति गतिविधियां नए रोजगार के विज्ञापनों तथा नियोक्ताओं की तरफ से उपलब्ध ब्योरे के माध्यम से रोजगार संबंधित खोज पर आधारित है।

रोजगार में जो वृद्धि हुई है, उसका मुख्य कारण महानगारों में नई रिहायशी और वाणिज्यिक परियोजनाओं की शुरुआत है। इससे निविदा प्रबंधक, निर्माण इंजीनियर और सिविल इंजीनियरों की मांग बढ़ी। रपट के अनुसार, बड़े शहरों में कोलकाता, पुणे और हैदराबाद में रियल एस्टेट क्षेत्र में नियुक्तियों में क्रमश: 28 फीसद, 22 फीसद और 19 फीसद की वृद्धि हुई।

16 साल से अधिक अधिक का अनुभव रखने वाले वरिष्ठ पेशेवरों की मांग सबसे ज्यादा रही। रियल एस्टेट के अलावा, तेल एवं गैस क्षेत्र क्षेत्र में सालाना आधार पर 20 फीसद, बीमा क्षेत्र में 13 फीसद और बैंक क्षेत्र में 11 फीसद की वृद्धि हुई। वाहन क्षेत्र तथा औषधि क्षेत्र में नियुक्तियों में क्रमश: चार फीसद और तीन फीसद की मामूली वृद्धि हुई।