अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने तकनीकी कालेज और संस्थाओं के विद्यार्थियों को भारतीय कलाओं को सिखाने के लिए एक नए कार्यक्रम की शुरूआत की है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों को संगीत व नृत्य से लेकर मिट्टी के बर्तन, बांस, लकड़ी, पत्थर, कांसे आदि की कलाकृतियों को बनाना सिखाया जाएगा।
परिषद ने अपने सभी संबद्ध कालेज और संस्थाओं ‘आर्टिस्ट-इन-रेजीडेंस’ कार्यक्रम शुरू करने के लिए कहा है जिससे विद्यार्थियों को कला, रचनात्मकता और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का अवसर मिलेगा। एआइसीटीई के निदेशक अमित दत्ता के मुताबिक, सभी संस्थानों को इस कार्यक्रम को शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
स्थानीय कलाकारों को मिलेगा मौका
इस पहल के तहत विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों और शिल्पकारों को शैक्षणिक वातावरण में आमंत्रित किया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों को विभिन्न कला रूपों जैसे कि दृश्य कला, संगीत, नृत्य, शिल्प और साहित्य से परिचित होने का मौका मिलेगा। इस कार्यक्रम के लिए स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को तकनीकी संस्थाओं के साथ जोड़े के लिए कहा गया है।
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इन कलाकारों और शिल्पकारों का चयन उनके द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त सम्मान व पुरस्कारों के आधार पर किया जाएगा। इसके अतिरिक्त एआइसीटीई ने युवा मामले और खेल मंत्रालय की ‘माय भारत’ पहल के साथ मिलकर विद्यार्थियों के लिए ‘ग्राम दर्शन’ कार्यक्रम आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा है।
कला को शिक्षा में एकीकृत करने से विद्यार्थियों का होगा समग्र विकास
इन कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थी स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों के साथ बातचीत करेंगे और स्थानीय समुदायों की रचनात्मक और सांस्कृतिक धरोहर को जानेंगे। एआइसीटीई का मानना है कि कला को शिक्षा में एकीकृत करने से विद्यार्थियों का समग्र विकास होगा और कला रूपों को नई पहचान मिलेगी।