Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे ने मदरसों में उर्दू की जगह मराठी पढ़ाने की मांग करके विवाद खड़ा कर दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अजान भी मराठी में ही दी जानी चाहिए। विपक्षी दलों ने मंत्री के बयान की कड़ी आलोचना की है और उन पर धर्म और भाषा के नाम पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया है।
शरद पवार की पार्टी के नेता शशिकांत शिंदे ने राणे के बयान की आलोचना करते हुए लिखा, ‘यह गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। गैरजरूरी तनाव पैदा करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर वह चाहते हैं कि मदरसों में मराठी पढ़ाई जाए, तो उन्हें कौन रोक रहा है? एक मंत्री होने के नाते उन्हें ऐसे मुद्दे कैबिनेट में उठाने चाहिए, न कि भड़काऊ सार्वजनिक बयान देने चाहिए।’
ओवैसी ने पाखंड का लगाया आरोप
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने राणे पर पाखंड का आरोप लगाया। मीडिया से बातचीत में ओवैसी ने कहा, ‘अगर आप उनके पुराने ट्वीट देखें, तो आप पाएंगे कि वह तब्लीगी जमात के इज्तेमा का स्वागत करते थे। वह बधाई देते थे। और अब वह मराठी में अजान चाहते हैं।’ एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने कहा, ‘महाराष्ट्र में कुछ बीजेपी नेता धर्म और भाषा के नाम पर नफरत फैला रहे हैं और अशांति पैदा कर रहे हैं। ऐसे लोगों को रोकना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है।’
मंत्री नितेश राणे ने मुसलमानों को लेकर दिया विवादित बयान
नितेश राणे ने क्या बयान दिया?
मंत्री नितेश राणे ने कहा, ‘कांग्रेस को मराठी स्कूल चलाने की क्या जरूरत है? विपक्ष को मुसलमानों से मराठी में अजान देने के लिए कहना चाहिए। हमारे मंदिरों के बाहर ‘जय श्री राम’ के नारे लगते हैं, लेकिन दुकानों के अंदर अब्दुल बैठा रहता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अलग मराठी स्कूल बनाने की कोई जरूरत नहीं है। उर्दू की बजाय मदरसों में मराठी पढ़ाएं। मौलवियों से कहिए कि वे मदरसों में मराठी पढ़ाएं, ताकि हमें लगे कि असली शिक्षा वहीं होती है। वरना वहां से सिर्फ बंदूक ही मिलती है।’ राणे अपने विवादित बयानों के लिए ही सुर्खियों में बने रहते हैं। इस साल की शुरुआत में, उन्होंने ईद-उल-अजहा के दौरान जानवरों की कुर्बानी पर सवाल उठाया था और वर्चुअल ईद मनाने का आह्वान किया था और कहा था कि भारत शरिया कानून के तहत काम नहीं करता। नितेश राणे बोले- टोपी पहनने वालों की पिटाई करने का साहस नहीं