आंध्रप्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समेत गरीब लोगों की जमीन पर नेताओं और बिल्डरों के गठजोड़ के जरिये कब्जा करने का मामला सामने आया है। मामले के अनुसार तेलुगू देशम पार्टी के सत्ता में रहने के दौरान पार्टी के स्थानीय नेताओं ने 30  बिल्डरों के साथ मिलकर एससी, एसटी समुदाय के साथ ही गरीब लोगों से जबरदस्ती उनकी  444.66 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया गया।

कैबिनेट उप समिति ने 27 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट में यह बात कही थी। रिपोर्ट के अनुसार एक्स सर्विसमैन, भूमिहीन लोगों को यह जमीन सरकार की तरफ से दी गई थी। इस तरह की जमीन को थर्ड पार्टी को नहीं बेचा जा सकता है। जबकि इन लोगों  से प्रस्तावित राजधानी के नाम पर जबरदस्ती जमीन खरीदी गई।

कमेटी की तरफ से कहा गया था कि अमरावती में लैंड की डील में स्थानीय टीडीपी नेताओं के साथ ही बिल्डर  शामिल थे। जमीन खरीदने के छह  महीने बाद अमरावती को आधिकारिक तौर से राजधानी घोषित कर दिया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन बिल्डरों को स्थानीय प्रभावशाली नेताओं का समर्थन हासिल था।

इन लोगों ने जमीन मालिकों से कहा कि उनकी जमीन लैंड पूलिंग स्कीम के अंतर्गत नहीं आएगी। ऐसे में अमरावती के राजधानी बनने की सूरत में उन्हें किसी तरह का पैसा भी नहीं  मिलेगा। जमीन मालिकों से कहा गया कि उन्हें उनकी जमीनों के बदले में किसी तरह विकसित किया प्लॉट भी नहीं मिलेगा।

इसके बाद जमीन मालिकों में डर फैल गया। उन्होंने अपनी जमीनें बिल्डरों को बेच दी। एक अधिकारी ने बताया कि इन लोगों से जमीन हासिल करने के बाद सरकार ने घोषणा की कि इन लोगों की जमीनें लैंड पूलिंग स्कीम में शामिल होंगी जबकि पहले इन्हें लैंड पूलिंग स्कीम से बाहर रखा गया था।

इस समिति का नेतृत्व राज्य के वित्त मंत्री बी राजेंद्रनाथ ने किया। समिति में पंचायती राज मंत्री पी  रामचंद्र रेड्डी, सिचाई मंत्री पी अनिल कुमार और उद्योग मंत्री एम गौतम रेड्डी भी शामिल थे। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को सौंप दी थी।