अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने इकरामुद्दीन कामिल को मुंबई में अपना कार्यवाहक काउंसल नियुक्त किया है। हालांकि भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस के जानकार बताते हैं कि इकरामुद्दीन कामिल ने विदेश मंत्रालय (एमईए) की स्कॉलरशिप पर भारत में सात साल तक पढ़ाई की है और वह वाणिज्य दूतावास में एक डिप्लोमेट के तौर पर काम करने के लिए सहमत हो गए हैं। यह तालिबान सरकार द्वारा भारत में की गई किसी तरह की पहली नियुक्ति है।
अफगान मीडिया ने दी जानकारी
अफगान मीडिया ने सोमवार को बताया कि इकरामुद्दीन कामिल की नियुक्ति भारत में किसी अफगान मिशन में तालिबान शासन द्वारा की गई पहली नियुक्ति है। तालिबान के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकज़ई ने भी एक्स पर पोस्ट करके कामिल की कार्यवाहक काउंसल के रूप में नियुक्ति की पुष्टि की।
साल 2021 में तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने काबुल स्थित मिशन से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था, जबकि नई दिल्ली स्थित दूतावास में कार्यरत अफगान राजनयिकों ने भारत छोड़ दिया था। हालांकि सूत्रों ने मंगलवार को कहा, ‘तथ्य यह है कि भारत में एक बड़ा अफगान समुदाय रहता है, जिसे काउंसल सेवाओं की जरूरत है। इसलिए भारत में अफगान नागरिकों को प्रभावी ढंग से सेवा प्रदान करने के लिए अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता है।’
कामिल एक युवा अफ़गान छात्र है, जिससे विदेश मंत्रालय परिचित है, और जिसने विदेश मंत्रालय की स्कॉलरशिप पर दक्षिण एशिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी करने के दौरान सात साल तक भारत में अध्ययन किया है। सूत्रों के अनुसार कामिल ने “अफ़गान वाणिज्य दूतावास में एक राजनयिक के रूप में काम करने के लिए सहमति व्यक्त की है।
विदेश मंत्रालय ने पहली बार तालिबान भेजा अपना खास दूत
यह घटनाक्रम भारतीय प्रतिनिधिमंडल की काबुल यात्रा के कुछ दिनों बाद हुआ है, जिसमें उसने अफगानिस्तान के अंतरिम रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की और अफगानिस्तान के व्यापारिक समूहों को ईरान में चाबहार बंदरगाह के उपयोग की पेशकश की, साथ ही काबुल को अधिक मानवीय सहायता प्रदान करने पर भी चर्चा की।