सीरिया में राष्ट्रपति अल असद के परिवार के 50 साल के शासन को उखाड़ फेंकने और विद्रोही गुटों के राजधानी दमिश्क में कब्जे के बाद से वहां हालात सामान्य करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, देश में रह रहे विदेशी नागरिकों के बीच डर का माहौल है। इस सबके बीच भारत ने सीरिया से अपने 75 नागरिकों को निकाला। सीरिया में अपने नागरिकों की सुरक्षा और वहां की राजनीतिक स्थिति का आकलन करते हुए भारत सरकार ने यह कदम उठाया है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और वे उपलब्ध कमर्शियल फ्लाइट्स से भारत लौटेंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि यह कदम सीरिया में हाल की घटनाओं के बाद उठाया गया है।

बयान में कहा गया है , “निकाले गए लोगों में जम्मू और कश्मीर के 44 ज़ायरीन शामिल थे जो सैदा ज़ैनब में फंसे हुए थे। सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित रूप से लेबनान पहुंच गए हैं और वे उपलब्ध कमर्शियल फ्लाइट्स से भारत लौटेंगे।” आगे कहा गया है, “दमिश्क और बेरूत में भारतीय दूतावासों द्वारा यह निकासी सुरक्षा स्थिति के हमारे आकलन और सीरिया में भारतीय नागरिकों के अनुरोधों के बाद लागू की गई। यह सीरिया की आंतरिक स्थिति का पहला सुरक्षा आकलन है।”

इंडियन एंबेसी ने जारी किया इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर

बयान में कहा गया है, “भारत सरकार विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। सीरिया में रह रहे भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे दमिश्क में भारतीय दूतावास के आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर +963 993385973 (व्हाट्सएप पर भी) और ईमेल आईडी (hoc.damascus@mea.gov.in) पर संपर्क में रहें। सरकार स्थिति पर बारीकी से नज़र रखेगी।”

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नई सीरियाई सरकार का समर्थन करेगा अमेरिका

वहीं, दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने मंगलवार को कहा कि वह आतंकवाद छोड़ने, रासायनिक हथियारों के भंडार को नष्ट करने और अल्पसंख्यकों-महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाली नयी सीरिया सरकार को मान्यता देगा और उसका समर्थन करेगा। AP की खबर के मुताबिक, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान में कहा कि अमेरिका सीरिया में समूहों और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ मिलकर काम करेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के अपदस्थ होने के बाद सत्ता का हस्तांतरण सुचारू रूप से हो।

उन्होंने हालांकि, इस बारे में स्पष्ट रूप से नहीं बताया कि अमेरिका किन समूहों के साथ काम करेगा लेकिन विदेश मंत्रालय ने मुख्य सीरियाई विद्रोही समूह के साथ बातचीत की संभावना से इनकार नहीं किया है, भले ही उसे आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। पढ़ें- Syria Civil War Live: सीरिया में अब कैसे हैं हालात?