सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति मिलनी चाहिए या नहीं? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट में बुधवार (18 जुलाई) को अक्सर ही चर्चा में रहने वाले बिग बॉस के प्रतियोगी स्वामी ओम भी मौजूद था। इतना ही नहीं सुनवाई के दौरान स्वामी कोर्ट में सबसे आगे बैठा था। टीओआई के मुताबिक सामने की पंक्ति में स्वामी के बैठने पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने केरल सरकार के वकील और बोर्ड से सवाल किया कि स्वामी को आगे की पंक्ति में कैसे बैठने दिया गया। कोर्ट ने इसे बार की परंपरा के खिलाफ बताया।
बता दें कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक के मामले में कोर्ट ने बहुत ही अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के पास पुरुषों की तरह ही समान अधिकार हैं, उन्हें भी पुरुषों की तरह पूजा करने का पूरा अधिकार है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है।
SC takes exception to former Bigg Boss contestant Swami Om sitting in the front row in the court room and pulls up the lawyers of state govt and Board for allowing him to sit there, says it is against the tradition of bar pic.twitter.com/6hnaTRv2Vc
— Times of India (@timesofindia) July 18, 2018
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि यहां निजी मंदिरों का कोई सिद्धांत नहीं है। सीजेआई मिश्रा ने कहा, ‘अगर कोई मंदिर है तो वह सभी के लिए है औक पब्लिक प्लेस है। हर किसी को वहां जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। अगर पुरुष वहां जा सकते हैं तो महिलाएं भी जा सकती हैं।’ उन्होने कहा, ‘किस आधार पर मंदिर प्रशासन महिलाओं की एंट्री पर रोक लगा रहा है। यह संविधान के खिलाफ है। एक बार अगर आप इसे लोगों के लिए खोल देते हैं तो फिर हर कोई जा सकता है।’ इसके अलावा कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तीसरी पार्टी को दखलअंदाजी करने से मना किया है। वहीं अब केरल सरकार ने भी सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री के पक्ष में होने की बात कही है।
आपको बता दें कि सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगी हुई है। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जा रही है। केरल सरकार ने पहले भी मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का पक्ष लिया था, लेकिन बाद में यानी 2017 में अपना मन बदल लिया और प्रवेश पर बैन को सपोर्ट किया था। अब एक बार फिर सरकार ने कहा है कि वह अपने 2015 के पक्ष में ही टिकी रहेगी।