वित्त मंत्री अरुण जेटली पर हमला करने के लिए निलंबित किए गए भाजपा सांसद कीर्ति आजाद ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर अपनी ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ का सबूत मांगा। आजाद ने कहा कि वे पार्टी के वफादार सैनिक रहे हैं। दरभंगा से तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके आजाद ने यह भी उल्लेख किया कि उन्हें भेजे गए निलंबन के पत्र में डीडीसीए भ्रष्टाचार का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। जिसे लेकर उन्होंने जेटली पर निशाना साधा था।
उन्होंने कहा कि इससे उन्हें यह भरोसा हुआ कि भाजपा का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। यह विशुद्ध रूप से पार्टी के दायरे से बाहर है। उन्होंने शाह को लिखा-निष्पक्षता से और स्वभाविक न्याय के सिद्धांत के तहत, मैं इसके इंतजार में हूं कि पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने के मुझ पर लगे गंभीर आरोपों से अपना नाम साफ करने का मुझे एक मौका मिलेगा। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे जल्द से जल्द उदाहरण और सबूत मुहैया कराएं कि मैं पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हुआ ताकि मैं संदेह दूर कर सकूं और आपको आपके संतोष के मुताबिक जवाब मुहैया करा सकूं। साथ ही इसकी पुष्टि कर सकूं कि मैंने न तो पार्टी के संविधान और न ही पार्टी के हितों के खिलाफ काम किया है।
आजाद ने पार्टी के इस आरोप का उल्लेख किया कि उन्होंने अपने कृत्यों से भाजपा और उसके पदाधिकारियों की छवि को नुकसान पहुंचाया और यह कि उन्होंने कांग्रेस और आप के साथ सांठगांठ की। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे 1993 से भाजपा के एक वफादार सैनिक हैं जब वे नई दिल्ली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। उन्होंने लिखा है कि भाजपा के साथ मेरे जुड़ाव में कलंक की एक भी घटना नहीं हुई है जिसने मुझे पार्टी के संविधान के तहत कार्य करने का हरेक मौका दिया है। मैं दोहराता हूं कि कि मैं भाजपा का एक ईमानदार कार्यकर्ता रहूंगा और मेरा यह बिल्कुल भी इरादा नहीं है कि मैं पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कोई कारण बनूं या पार्टी विरोधी किसी गतिविधि में लिप्त होऊं। पार्टी में 23 वर्ष का मेरा निष्कलंक रिकार्ड इसकी पुष्टि करेगा।
उन्होंने कहा-चूंकि आपने (शाह ने) डीडीसीए भ्रष्टाचार का उल्लेख नहीं किया है। लिहाजा मैं मानता हूं कि पार्टी का इस मामले से कुछ लेना-देना नहीं है और (यह) पूरी तरह से उसके दायरे से बाहर है। भाजपा ने पिछले बुधवार को आजाद को अपनी प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था। इस कार्रवाई से तीन दिन पहले आजाद ने डीडीसीए में कथित अनियमितताओं को लेकर एक पत्रकार सम्मेलन किया था। उसके बाद वे संसद के भीतर और बाहर चुनौती देने वाले कृत्य में लिप्त हुए थे।