आइपीएल घोटाले के दागी ललित मोदी को ब्रिटिश यात्रा दस्तावेज प्राप्त करने में मदद को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विवादों में घिर गई हैं। हालांकि उन्हें सरकार और अपनी पार्टी भाजपा का पुरजोर समर्थन मिला है। सरकार ने उनके त्यागपत्र की विपक्ष की मांग को खारिज कर इसका संकेत भी दे दिया है।
विवाद उन ईमेल के खुलासे से उत्पन्न हुआ जिससे यह पता चला है कि सुषमा ने भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज और यहां ब्रिटेन के उच्चायुक्त जेम्स बीवन से बात करके ललित मोदी को पिछले वर्ष जून में कथित तौर पर उनकी पत्नी के कैंसर इलाज के लिए पुर्तगाल जाने के लिए यात्रा दस्तावेज प्रदान किए जाने का पक्ष लिया। ललित मोदी भारत में वांछित हैं और उन्होंने 2010 से लंदन को अपना घर बना रखा है ताकि वे टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट में कथित सट्टे और धन की हेराफेरी की जांच से बच सकें।
ब्रिटिश मीडिया ने लीक ईमेल का उल्लेख किया और कहा कि वाज ने ललित मोदी को ब्रिटिश यात्रा दस्तावेज प्रदान करने के वास्ते ब्रिटेन के शीर्ष आव्रजन अधिकारी पर दबाव डालने के लिए सुषमा का नाम लिया। इसके बाद ही ललित मोदी को 24 घंटे से भी कम समय में यात्रा दस्तावेज प्राप्त हो गए। खबर में कहा गया है कि वाज ने सुषमा के भतीजे ज्योतिर्मय कौशल को ब्रिटिश विधि डिग्री कोर्स के लिए आवेदन करने में मदद की पेशकश की थी।
यह भी पढ़े ललित मोदी वीजा विवाद में घिरीं सुषमा स्वराज, कांग्रेस ने दागे 11 सवाल
खबरें सामने आने के बाद 63 वर्षीय सुषमा ने शृंखलाबद्ध ट्वीट में सफाई दी कि उन्होंने मानवीय रुख अपनाया था क्योंकि ललित मोदी ने कैंसर पीड़ित अपनी पत्नी के इलाज का वास्ता दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने ब्रिटिश उच्चायुक्त से साफ कहा था कि उन्हें ललित मोदी के अनुरोध पर अपने देश के नियमों के अनुरूप गौर करना चाहिए और यदि ब्रिटिश सरकार ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज देने का निर्णय करती है तो इससे हमारे द्विपक्षीय संबंध खराब नहीं होंगे।
सूत्रों के मुताबिक सुषमा ने इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर बात की और उन्हें अपनी स्थिति समझाई। विपक्ष के हमले झेल रही सुषमा ने कहा, ‘मैंने ललित मोदी को क्या लाभ पहुंचाया, यह कि वह कैंसर से पीड़ित अपनी पत्नी की सर्जरी के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर सके? वह लंदन में थे। वह अपनी पत्नी की सर्जरी के बाद वापस लंदन लौट आए। वह क्या था जो मैंने बदल दिया।?’

विपक्ष को इस बहाने मोदी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया। नैतिकता की दुहाई देते हुए विपक्षी दलों ने सुषमा पर इस कदम के लिए निशाना साधा और उनसे त्यागपत्र की मांग की। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठाया और उन पर 11 सवाल दागे। इसमें यह भी शामिल है कि उनके द्वारा किए गए पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के वादे का क्या हुआ। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने सुषमा पर हमला बोला और उनके इस्तीफे की मांग की और साथ ही प्रधानमंत्री से स्थिति को स्पष्ट करने को कहा।
सरकार और भाजपा के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी सुषमा का मजबूती से समर्थन किया है। राष्ट्रवादी बताते हुए उनके त्यागपत्र की मांगों को भी संघ ने खारिज कर दिया। साथ ही जोर देकर कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और केवल मानवीय आधार पर कार्य किया।
एक निजी समाचार चैनल पर यह खबर प्रसारित होने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उसके बाद ही सरकार ने सुषमा के जोरदार ढंग से समर्थन की रणनीति अपनाई। राजनाथ सिंह ने कहा- हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि उन्होंने जो कुछ भी किया है वह सही है। हम उसे सही ठहराते हैं और सरकार उनके साथ पूरी तरह खड़ी है। राजनाथ सिंह ही नहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी खुल कर सुषमा का बचाव किया।
Read More- ललित मोदी वीजा विवाद: सुषमा स्वराज के साथ संघ, विपक्ष इस्तीफे पर अड़ा
उधर सुषमा स्वराज ने कहा- मेरा सही मायने में मानना है कि कोई ऐसी स्थिति दो देशों के बीच संबंधों को खराब नहीं कर सकती है और यह करनी भी नहीं चाहिए, जिसमें किसी भारतीय नागरिक को आपात स्थिति में यात्रा दस्तावेज प्रदान किए गए। मैं यह भी उल्लेख कर सकती हूं कि कुछ ही दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने ललित मोदी का पासपोर्ट जब्त करने के यूपीए सरकार के आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि कथित आदेश असंवैधानिक है क्योंकि यह मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हैं। इसके बाद उन्हें उनका पासपोर्ट वापस मिल गया।
वाज की ओर से कथित तौर पर सुषमा को उनके भतीजे को ब्रिटिश विधि डिग्री कोर्स के लिए आवेदन करने में मदद की पेशकश किए जाने के मुद्दे पर सुषमा ने कहा- जहां तक ज्योतिर्मय कौशल के ससेक्स विश्वविद्यालय में विधि कोर्स में प्रवेश का सवाल है तो उन्होंने मेरे मंत्री बनने से एक वर्ष पहले 2013 में सामान्य प्रक्रिया के तहत प्रवेश प्राप्त कर लिया था। सुषमा के पति स्वराज कौशल और पुत्री बांसुरी कथित तौर पर ललित मोदी के वकील रहे हैं।
दरअसल ब्रिटेन में कन्जर्वेटिव सांसद एंड्रयू ब्रिडगेन ने वहां के संसदीय आदर्श आयुक्त को पत्र लिखकर उनसे यह जांच करने का अनुरोध किया है कि क्या वाज ने सांसदों की आचार संहिता का उल्लंघन किया है। सुषमा ने घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए ट्विटर पर लिखा है- जुलाई 2014 में किसी समय ललित मोदी ने मुझसे बात की कि उनकी पत्नी कैंसर से पीड़ित हैं और उनकी सर्जरी पुर्तगाल में चार अगस्त को होनी निर्धारित है। उन्होंने मुझसे कहा कि सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए उन्हें अस्पताल में उपस्थित रहना है। ललित मोदी ने मुझे बताया कि उन्होंने यात्रा दस्तावेज के लिए लंदन में आवेदन किया है और ब्रिटिश सरकार उन्हें यात्रा दस्तावेज देने के लिए तैयार है। यद्यपि यूपीए सरकार के एक पत्र ने उन्हें रोक दिया जिसमें कहा गया था कि इससे भारत और ब्रिटेन के संबंध खराब होंगे।
बकौल सुषमा, मानवीय आधार अपनाते हुए उन्होंने ब्रिटिश उच्चायुक्त से कहा कि ब्रिटिश सरकार को ललित मोदी के अनुरोध पर ब्रिटिश नियमों के अनुरूप गौर करना चाहिए। यदि ब्रिटिश सरकार ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज देने का निर्णय करती हैं तो उससे हमारे द्विपक्षीय संबंध खराब नहीं होंगे। कीथ वाज ने भी मुझसे बात की और मैंने उनसे वही कहा जो मैंने ब्रिटिश उच्चायुक्त से कहा था। वाज ने भी निजी तौर पर ब्रिटिश वीजा व आव्रजन महानिदेशक सारा रैपसन को पत्र लिखा और ललित मोदी के मामले में तेजी लाने का अनुरोध किया।
लेबर सांसद उस समय प्रभावशाली हाउस आफ कामन के गृह मामलों की प्रवर समिति के अध्यक्ष थे जिस भूमिका में उन पर रैपसन और उनके विभाग के कार्य की जांच पड़ताल की जिम्मेदारी थी। ललित मोदी के भारतीय पासपोर्ट को सरकार ने मार्च 2011 में निरस्त कर दिया था। लेकिन पिछले वर्ष अगस्त में दिल्ली हाईकोर्ट ने उसे बहाल कर दिया था। मोदी ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है और उनका कहना है कि वे भारत छोड़कर ब्रिटेन इसलिए चले गए क्योंकि उनकी जान को खतरा उत्पन्न हो गया था। ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के साथ एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पिछली गर्मियों में ब्रिटिश यात्रा दस्तावेज मिलने के कुछ ही समय बाद ललित मोदी ने वाज को एक सुपरस्टार बताया था।
बहरहाल प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सुषमा को नैतिक आधार पर तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे लेकर सवाल खड़े हुए हैं कि क्या उनके कदम को प्रधानमंत्री की मौन सहमति प्राप्त थी और उनकी भूमिका संदेह के घेरे में है। पार्टी के दूसरे नेता सचिन पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री को स्वयं यह जवाब देना चाहिए कि वे ऐसे लोगों की मदद और समर्थन क्यों कर रहे हैं जो सभी तरह के अवैध लेनदेन में शामिल हैं। जो देश से भाग गए हैं और जो भारतीय कानून से बचने के लिए विदेशों में रह रहे हैं। जद (एकी) प्रवक्ता केसी त्यागी, माकपा नेता वृंदा करात और आप पार्टी के नेता आशुतोष ने भी सुषमा के इस्तीफे की मांग की।
Read More- ललित मोदी वीजा विवाद में फंसी सुषमा स्वराज, कहा-मानवता के आधार पर फैसला किया
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस मुद्दे पर जारी हंगामे की निंदा करते हुए कहा कि राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के प्रयास का कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने बोफर्स घोटाले और यूनियन कार्बाइड विवादों का उल्लेख करते हुए विपक्षी कांग्रेस पर निशाना साधा। अमित शाह के मुताबिक नैतिक आधार का कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें एक भारतीय ने दूसरे भारतीय की मदद की। भाजपा अध्यक्ष ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि यह मामला बोफर्स घोटाले के आरोपी ओतावियो क्वात्रोची को भारत से भगाने या यूनियन कार्बाइड प्रमुख वारेन एंडरसन को देश छोड़ने देने से अलग है।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मामले में प्रधानमंत्री से ग्यारह सवाल किए हैं। जिसके जरिए उनसे पूछा है कि पारदर्शिता और कोई भ्रष्टाचार नहीं के उस वादे का क्या हुआ जो उन्होंने किया था और यह भी कि सरकार काले धन को कैसे वापस लाएगी जब वह ऐसे लोगों को मदद करेगी जो 700 करोड़ रुपए के मनी लाउंड्रिंग के आरोपी हैं।
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों से कहा कि लोग पूछ रहे हैं कि क्या मोदी मोदी की मदद कर रहे हैं। कांग्रेस ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया है कि क्या सरकार ने अपराधियों को मानवीयता के आधार पर मदद पहुंचाने की कोई नीति अपनाई थी और वांछित आतंकवादी दाऊद इब्राहिम अगर इस तरह की मदद मांगे तो क्या उसे भी मदद दी जाएगी?