हाल में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद खबर आई है कि 2011 में भी सेना ने LOC पार करके सर्जिकल स्ट्राइक की थी। द हिंदू अखबार में छपी खबर के मुताबिक, उस सर्जिकल स्ट्राइक को ‘ऑपरेशन जिंजर’ नाम दिया गया था। खबर के मुताबिक, सेना की तीन टुकड़ियां ऑपरेशन के लिए गई थीं। खबर के मुताबिक, दो बार सर्जिकल स्ट्राइक हुआ था। जिसमें लगभग 13 जवानों की जान गई थी। जिसमें से 5 जवानों के सिर भी काटे गए थे। दोनों देशों की सेना एक दूसरे के जवानों के सिर काटकर ट्राफी की तरह लेकर गई थीं। खबर के मुताबिक, पाकिस्तानी आर्मी दो सिर काटकर ले गई थी जिसके बदले भारतीय जवान तीन सिर काटकर लाए थे। द हिंदू को ऑपरेशन जिंजर के कुछ सबूत मिले हैं। वहीं उस वक्त के मेजर जनरल (रिटायर्ड) एसके चक्रवर्ती जिन्होंने इस ऑपरेशन को किया था उन्होंने भी बातचीत में यह बात कबूल ली है। वह कुपवाड़ा के 28वें डिवीजन के चीफ थे। हालांकि, उन्होंने मामले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी।

वीडियो: सर्जिकल स्ट्राइक: पहली बार एलओसी के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई आंखों देखी

क्या हुआ था: उस वक्त कुपवाड़ा में पाकिस्तानी सेना की तरफ से राजपूत और कुमाऊ रेजिमेंट के दो जवानों के सिर काटकर ले जाए गए थे। जिन लोगों के सिर काटे गए उनके नाम हवलदार सिंह अधिकारी और लांस नाईक देवेंद्र सिंह बताया गया। वहीं एक और जवान पर हमला हुआ था बाद में उसकी हॉस्पिटल में मौत हो गई थी। इसका बदला लेने के लिए ही ऑपरेशन जिंजर किया गया था। इंडियन आर्मी द्वारा पाकिस्तानी आर्मी की तीन पोस्ट पर हमला किया गया था। खबर के मुताबिक, घात लगाने, हमला करने, नजर रखने के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई थी। खबर के मुताबिक, ऑपरेशन के लिए 25 जवान गए थे। इसमें ज्यादातर पैरा कमांडो थे। हालांकि, इस सफल ऑपरेशन के बाद भी सेना ने जश्न नहीं मनाया था क्योंकि तब ही उन्हें खबर मिली थी कि उनके एक साथी ने वापस आते हुए एक माइन पर पैर रख दिया था। जिससे वह काफी जख्मी हो गया था।

Read Also: SP का पोस्टर: मुलायम की सलाह पर मोदी सरकार ने दिया सर्जिकल स्ट्राइक का आदेश

ऑपरेशन जिंजर 30 अगस्त को किया गया था। ऑपरेशन के लिए यह दिन चुने जाने की भी खास वजह थी। यह दिन इसलिए चुना गया क्योंकि कारगील की लड़ाई भी मंगलवार को ही जीती गई थी। हमला ईद से लगभग एक हफ्ते पहले हुआ। इन दिनों पाकिस्तान सोच नहीं सकता था कि हमला होगा। खबर में बताया गया कि कटे सिरों की फोटो भी खींची गई थी। बाद में उन्हें दफना भी दिया गया था। उन सिरों के कोई अवशेष ना मिलें इसके लिए उन्हें बाद में सीनियर मोस्ट जनर्लस ने जलवाकर किशनगंगा नदी में फेंकने को भी कह दिया था।