सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सरकारी अधिकारियों को समन भेजने के लिए जल्द ही नई गाइडलाइंस जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा कि पेंडिंग मामलों में और अंतिम निर्णय में अवमानना के मामलों से निपटने के लिए अलग-अलग नियम होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही नई गाइडलाइन जारी होगी।

सीजेआई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि जिन मामलों में फैसला नहीं हुआ है, उनमें अधिकारियों के एफिडेविट ही काफी होंगे। लेकिन जिन मामलों में फैसला हो चुका है और कोर्ट का आदेश ना मानने वाले जो अवमानना के मामले होंगे, उनमें अधिकारियों की मौजूदगी जरूरी होगी। पीठ ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को समन भेजने के लिए हम कुछ नए दिशानिर्देश बनाएंगे और इसके संबंध में जल्द ही नई गाइडलाइन जारी की जाएगी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दो सरकारी अधिकारियों को तलब किए जाने से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराजन पेश हुए थे और उन्होंने इस मुद्दे पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी।

नटराजन ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश पारित किया, जिसके जरिए वित्त सचिव और विशेष सचिव (वित्त) को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की सुविधाओं से जुड़े एक मामले में अवमानना कार्यवाही को लेकर हिरासत में लिया गया है।

न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है?

वहीं स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था की सबसे बड़ी चुनौती न्याय तक पहुंच में आने वाली बाधाओं को खत्म करना है। चंद्रचूड़ ने कहा था कि हमें यह सुनिश्चित करना है कि न्यायपालिका समावेशी हो और पंक्ति में अंतिम व्यक्ति तक पहुंच योग्य हो।

डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि अदालतों को समावेशी बनाने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए एक रोडमैप की जरूरत है।