सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के मामले में बुधवार को अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह कानून का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि किसी का भी घर उसके सपने की तरह होता है। सिर्फ किसी के आरोपी या दोषी होने के आधार कर घर को नहीं गिराया जा सकता है। घर ही उस व्यक्ति की अंतिम सुरक्षा होता है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के मामले में पूर्वाग्रह में ग्रसित नहीं हो सकते। सरकारी ताकत का बेवजह इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। कोई भी अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कवि प्रदीप की एक कविता का हवाला दिया और कहा कि घर सपना है, जो कभी न टूटे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हमने सभी दलीलों को सुना है। लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर विचार किया। न्याय के सिद्धांतों पर विचार किया। इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण, जस्टिस पुत्तास्वामी जैसे फैसलों में तय सिद्धान्तों पर विचार किया। सरकार की जिम्मेदारी है कि कानून का शासन बना रहे, लेकिन इसके साथ ही नागरिक अधिकारों की रक्षा संवैधानिक लोकतंत्र में जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी की गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर गाइडलाइन जारी की है। कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले बुलडोजर एक्शन को लेकर नोटिस देना होगा। इसके अलावा उसका पक्ष भी सुनना होगा। डाक के जरिए नोटिस भेजना अनिवार्य होगा। नोटिस की जानकारी डीएम को भी देना होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया तो मुआवजा भी देना होगा। कार्रवाई केवल तभी की जा सकती है जब घर पूरी तरह खाली कर दिया गया हो और इसकी वीडियोग्राफी भी की जाएगी।

कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनमाने तरीके से काम करने वाले अधिकारियों को इस काम के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। अधिकारियों को यह दिखाना होगा कि संरचना अवैध है और अपराध को कम करने या केवल एक हिस्से को ध्वस्त करने की कोई संभावना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि नोटिस में बुलडोजर चलाने का कारण, सुनवाई की तारीख बताना जरूरी होगी। इस कार्रवाई के लिए 3 महीने में एक डिजिटल पोर्टल भी बनाया जाएगा जिसमें नोटिस की जानकारी और संरचना के पास सार्वजनिक स्थान पर नोटिस प्रदर्शित करने की तारीख बताई गई है। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर अवैध तरीके से इमारत गिराई गई है तो अधिकारियों पर अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी और इसके लिए उन्हें हर्जाना भी देना होगा। नोटिस में अधिकारियों को बुलडोजर एक्शन की वजह का भी जिक्र करना होगा। किसी भी इमारत को लेकर तब गिराया जा सकता है जब अनधिकृत संरचना सार्वजनिक सड़क/रेलवे ट्रैक/जल निकाय पर हो।

अधिकारी नहीं निभा सकते जज की भूमिका- कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है। सिर्फ आरोपी लगाने से कोई दोषी नहीं हो जाता है। बिना मुकदमे के घर तोड़कर सजा नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि मुद्दा आपराधिक न्याय प्रणाली में निष्पक्षता से संबंधित है, जो यह अनिवार्य करता है कि कानूनी प्रक्रिया आरोपी के अपराध के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो। ऐसे मामले में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए या नहीं? ऐसे तमाम सवालों पर हम फैसला देंगे, क्योंकि यह अधिकार से जुड़ा मसला है।